कॉरपोरेट जगत

Published: Mar 28, 2023 02:39 PM IST

Higher Drugs Priceअब महंगा पड़ेगा दर्द! चुकानी पड़ सकती है दवाओं के लिए अधिक कीमत, पढ़े डिटेल्स

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Representational Pic

दिल्ली: देश में महंगाई का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि कुछ इलाकों में राहत है, लेकिन ईंधन और कई जरूरी चीजें महंगी हैं। अब इन बातों में एक और बात जुड़ने जा रही है। अप्रैल के महीने से आपको अपनी दवाओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। अप्रैल महीने से जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि महंगाई की मार झेल रहे गरीब और मध्यम वर्ग की जेब में हर महीने एक पैसा नहीं बचेगा। दवा कंपनियों ने जनवरी से दवाओं के दाम बढ़ाने की मांग की थी। कई चीजों के महंगा होने से कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ गई थी। कंपनियां इसे भरने के लिए माथापच्ची कर रही थीं। केंद्र सरकार ने अब उनकी मांग पर मुहर लगा दी है।

NPPA ने दिए संकेत

इन दवाओं का सीधा संबंध दर्दनिवारक, एंटीबायोटिक दवाओं, दिल की दवाओं और कई अन्य बीमारियों से है। कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनता पर खासा असर पड़ेगा। केंद्र सरकार ने इस संबंध में दवा कंपनियों को अनुमति देने के संकेत दिए हैं। यह मंजूरी वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर दी जाती है। दवा कंपनियों की वैल्यू तय करने वाली नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने इस संबंध में संकेत दिया।

12% से अधिक की वृद्धि

एक रिपोर्ट के मुताबिक दवाओं के दाम 12% से ज्यादा बढ़ सकते हैं। यह लगातार दूसरा साल है जब दवाओं के दाम बढ़े हैं। अनुसूचित दवाओं की कीमत में 10% तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। सरकार इन दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करती है। नियमानुसार मूल्य वृद्धि की मांग की जाती है। केंद्र सरकार के आदेश के बाद कीमतों में बदलाव होता है। WPI में गिरावट के कारण पिछले साल दवा की कीमतों में मामूली वृद्धि हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में, दर वृद्धि 1% और 2% के बीच रही है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में कीमतों में और इजाफा होने की पूरी संभावना है।

कंपनियों के लिए बड़ी राहत

हालांकि कीमतों में बढ़ोतरी आम जनता के लिए चौंकाने वाली है, लेकिन इस फैसले से कंपनियों को राहत मिली है। इससे दवा क्षेत्र और कंपनियों को लागत की भरपाई करने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में फार्मास्यूटिकल्स, फ्रेट, प्लास्टिक और पैकेजिंग की लागत में वृद्धि हुई है। इससे प्रोडक्शन पर काफी असर पड़ा। अब दवाओं के दाम बढ़ने से कंपनियों को राहत मिली है।