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Published: Nov 14, 2022 03:16 PM IST

Interviewग्लोबल इन्वेस्टर भारत के प्रति फिर आकर्षित: आशुतोष भार्गव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई: भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में पिछले दो साल जोरदार तेजी के बाद इस साल विभिन्न वैश्विक कारणों से वैश्विक बाजारों संग भारी उतार-चढाव है और अनिश्चतता की स्थिति है। निवेशक चिंतित है कि आगे मंदी आएगी या तेजी। मार्केट आउटलुक और निवेश अवसरों के संबंध में निपोन इंडिया के रिसर्च हैड (इक्विटी) एवं फंड मैनेजर आशुतोष भार्गव (Ashutosh Bhargva) से ‘नवभारत’ के वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज की विस्तृत चर्चा हुई।

आशुतोष भार्गव देश के एक अति सफल फंड मैनेजर माने जाते हैं। जिनके नेतृत्व में निपोन इंडिया म्यूचुअल फंड की कई स्कीमों ने विगत वर्षों में शानदार रिटर्न प्रदान किया है। जापान के 133 साल पुराने वित्त व बीमा समूह निपोन लाइफ इंश्योरेंस द्वारा प्रमोट निपोन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) 3।49 ट्रिलियन रुपए के प्रबंधन कोष (AUM) के साथ भारत का एक अग्रणी साझा कोष है, जिसके पास देश में सबसे ज्यादा 1.30 करोड़ से अधिक निवेशक खाते (Investor Folios) हैं। निवेशकों को बेहतर प्रतिफल (Good Return) प्रदान करते हुए निपोन इंडिया ने विगत 12 महीनों में ही 70 लाख से अधिक निवेशक खाते खोल बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:- 

यह सही है कि दुनिया के इक्विटी मार्केट घट रहे हैं और अपना मार्केट मजबूती के साथ खड़ा है। इसका मतलब भारतीय बाजार का अन्य बड़े बाजारों से ‘डीकपलिंग’ (Decoupling) हो गया है। यानी अब दुनिया की निगेटिव घटनाओं का भारत पर ज्यादा असर नहीं हो रहा है। विश्व स्तर पर तेल-गैस सहित सभी कमोडिटीज की रिकॉर्ड महंगाई के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई बड़ी दिक्कत नहीं आई। सभी चुनौतियों एवं संकटों को हम सफलतापूर्वक झेल गए। इस फंडामेंटल कारण के अलावा एक बड़ा कारण है भारतीय रिटेल निवेशकों का मनी पावर (Money Power) और उनका इक्विटी मार्केट की तरफ तेजी से बढ़ता आकर्षण है। तभी वैश्विक निवेशकों की भारी सेलिंग के बावजूद इंडियन मार्केट मजबूती के साथ खड़ा रहा और सेंसेक्स 18% से ज्यादा नहीं गिरा और तेजी से रिकवर होकर 2% फायदे में आ गया है। जबकि अमेरिका, जर्मनी, जापान, चीन सहित दुनिया के अन्य बड़े मार्केट्स में इस साल 22 से 45% तक की भारी गिरावट आई है। रिटेल निवेशकों का झुकाव मार्केट की तरफ होने की मुख्य वजह कोविड पश्चात बैंक ब्याज दरों में तेज कटौती हुई। नतीजन बैंक फिक्स डिपॉजिट (Bank FD) में रिटर्न 7-8% से घटकर 5% रह गया और महंगाई (Inflation) को समायोजित करें तो यह रिटर्न निगेटिव (Negative) हो जाता है। ऐसी स्थिति में लोगों ने खर्च ज्यादा किया और अधिक रिटर्न के लिए इक्विटी में निवेश बढ़ाना शुरू किया। खर्च ज्यादा होने से अर्थव्यवस्था (Economy) को बूस्ट मिला, लेकिन नेट सेविंग रेट (Net Saving Rate) 11% से घटकर 8% रह गयी। इक्विटी में रिटेल निवेशकों ने डायरेक्ट मार्केट में और म्यूचुअल फंडों के माध्यम से, दोनों तरीकों से निवेश किया। तभी डीमैट खातों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार हो गयी। साथ ही म्यूचुअल फंडों से रिकॉर्ड संख्या में नए निवेशक जुड़े और एसआईपी निवेश का मासिक आंकड़ा 13,000 करोड़ रुपए के पार हो गया।

अभी तक बैंक रिटेल एफडी दरें न्यूनतम स्तर पर थी, जिससे मार्केट को बड़ा सपोर्ट मिल रहा था, परंतु अब एफडी रेट तेजी से बढ़ती दिखाई दे रही है, जो 7 से 7।5% तक जाने की संभावना है। ऐसी स्थिति में यह एक तरह से पूरी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (Mutual Fund Industry) के लिए एसिड टेस्ट होगा। हमें देखना होगा कि अगले 6 से 12 महीने एफडी रेट बढ़ने पर भी इक्विटी और म्यूचुअल फंड में रिटेल निवेश फ्लो पूर्णतः जारी रहता है या नहीं। यदि यह कायम रहा तो स्पष्ट हो जाएगा कि रिटेल निवेशकों की सोच में अन्य बेहतर निवेश माध्यमों की तरफ शिफ्ट होने का जो स्ट्रक्चरल चेंज आया है, वह कायम रहेगा। इससे हमारा भरोसा और बढ़ेगा। हमें लगता है कि ऊंची दरों के बावजूद एसआईपी फ्लो में निरन्तरता बनी रहेगी।

यह सही है कि कैलेंडर ईयर 2020 और 2021 में इक्विटी मार्केट ने 20 प्रतिशत से ज्यादा का बढ़िया रिटर्न दिया और डोमेस्टिक डिमांड वाले कई सेक्टरों में तो निवेशकों ने खूब पैसा कमाया, लेकिन मार्केट में लगातार तेजी रहना मुश्किल होता है। दो साल भारी तेजी के बाद मार्केट इस साल कंसोलिडेट हो रहा है। तमाम वैश्विक चुनौतियों को डाइजेस्ट कर इंडियन इकनॉमी और मार्केट और मजबूत हुए हैं। पर चुनौतियां अभी कायम हैं। इसलिए हमें अभी बैलेंस अप्रोच रखना चाहिए। निपोन इंडिया में हम ‘राइट सेक्टर, राइट स्टॉक सलेक्शन’ की नीति अपना रहे हैं। हम मेटल, ऑयल-गैस, फार्मा जैसे ग्लोबल डिमांड वाले सेक्टर्स के शेयरों में अंडरवेट रहे हैं। जबकि बैंकिंग, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, ऑटो जैसे डोमेस्टिक डिमांड और रिकवरी वाले सेक्टर्स में ओवरवेट रहे हैं। बैंकिंग में तो विगत दो साल से ओवरवेट हैं और इस साल बैंकिंग शेयर सबसे ज्यादा सबसे ज्यादा फायदा दे रहे हैं। अब हमें लगता है कि अगले 6 महीने बैलेंस अप्रोच के साथ ग्लोबल डिमांड वाले सेक्टर जैसे टेक्नोलॉजी, मेटल, ऑयल-गैस, फार्मा और ग्लोबल ऑटो में अंडरवेट कम करना चाहिए क्योंकि इनसे संबंधित तमाम निगेटिव फैक्टर्स का शेयर कीमतों पर असर अब खत्म होने को है। साथ ही हमें स्टॉक सलेक्शन पर ज्यादा फोकस रखना चाहिए।

देखिए, अभी भी महंगाई, ब्याज दर वृद्धि, रूस-यूक्रेन वार सहित कई वैश्विक चुनौतिया बनी हुई हैं। इसलिए शॉर्ट या मीडियम मार्केट में अवश्य थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन लॉन्ग टर्म नजरिए से अब डिफेंसिव होने का समय नहीं है बल्कि इक्विटी में निवेश का समय है। चाहे आप म्यूचुअल फंडों के द्वारा या फिर सीधे निवेश करे। दूसरे, हमें अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए सेक्टर्स की बजाय लॉर्जकैप, मिडकैप और स्मालकैप तीनों में यानी मल्टीकैप एवं फ्लैक्सीकैप में निवेश करना चाहिए। यही सबसे अच्छा ऑप्शन है। शॉर्ट टर्म में भारी उतार-चढ़ाव संभव है, लिहाजा एसआईपी के जरिए मल्टीकैप (Multi Cap) एवं फ्लैक्सीकैप (Flexi Cap) में निवेश करना उचित होगा। इससे निवेश में आपको तनाव भी कम होगा और अच्छी वेल्थ भी बना सकते हैं।  

इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकार ने जीएसटी, डिजिटलाइजेशन, कॉर्पोरेट टैक्स कटौती, पीएलआई, आत्मनिर्भर भारत सहित विगत वर्षों में जो महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए, उनसे अर्थव्यवस्था को काफी फायदा हुआ। इन बड़े आर्थिक सुधारों से इकनॉमी का फॉर्मलाइजेशन (Formalisation of Economy) हो गया है और उसके अच्छे परिणाम अब बढ़ते टैक्स संग्रह और तेज होती जीडीपी ग्रोथ के रूप में दिखाई देने लगे हैं। यही कारण है कि आज दुनिया में भारत सबसे अधिक ग्रोथ के साथ मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। इक्विटी, करेंसी, फिक्स इनकम तीनों में भारत ने आउटपरफॉर्म किया है। कार्पोरेट इंडिया का प्रॉफिट टू जीडीपी रेशियो लगातार बढ़ रहा है। भारत में राजनीतिक, वित्तीय और पॉलिसी स्थिरता है। जबकि दुनिया में निवेश के विकल्प बहुत कम रह गए हैं। चीन, रूस से निवेशक दूर हो रहे हैं। ऐसे में दुनिया में भारत सबसे पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है। यही कारण है कि ग्लोबल इन्वेस्टर (Global Investors) भारत के प्रति फिर आकर्षित होने लगे हैं।