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Published: Dec 18, 2020 09:48 PM IST

महंगाई आसमां छूतीं खाद्य तेलों की कीमतें

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद खाद्य तेलों (Veg Oils) की कीमतें बढ़ती ही जा रही है. दो सप्ताह पहले जब सरकार ने क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क (Import Duty) 10% घटाकर 27.5% किया था, तो खाद्य तेल कीमतों में 4 से 5 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई थी, लेकिन पिछले तीन दिनों से कीमतें फिर उफान पर हैं.

चूंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 70% तक आयात करता है. लिहाजा ग्लोबल मार्केट (Global market) में तेजी के असर से भारत (India) में तेजी ने जोर पकड़ लिया है. चीन की भारी खरीद के चलते मलेशिया में पाम तेल (Palm Oil) 918 डॉलर प्रति टन की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. इसके कारण यहां पाम तेल और सोयाबीन तेल (Soya oil) के दाम नई ऊंचाइयों पर जा पहुंच हैं और उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है.

35% तक बढ़ी कीमतें

ग्लोबल मार्केट में तेजी की खबरों से शुक्रवार को मुंबई के थोक बाजार में पाम तेल 1005 रुपए प्रति दस किलो (5% जीएसटी अतिरिक्त) हो गया है. जो पिछले सप्ताह 955 रुपए था. जबकि सोयाबीन तेल 1010 रुपए से बढ़कर 1080 रुपए की नई ऊंचाई पर जा पहुंचा है. इसी तरह सनफ्लावर तेल 1195 रुपए से बढ़कर 1235 रुपए प्रति दस किलो हो गया है. नवंबर में यह ऊंचे में 1260 रुपए बिक चुका है. जबकि सरसो तेल कच्ची घाणी 1185 रुपए से बढ़कर 1195 रुपए हो गया है. पिछले माह सरसो तेल में सरकार द्वारा ब्लैंडिंग की फिर मंजूरी दिए जाने के बाद सरसो तेल के दाम कुछ नियंत्रित हैं. लेकिन पिछले 6 महिनों में सभी खाद्य तेल 20% से 35% तक महंगे हो चुके हैं.

मूंगफली, कॉटन सीड तेल स्थिर

देश में सबसे अधिक खपत पाम तेल और उसके बाद सरसो, सोयाबीन और सनफ्लावर तेल की है. इनकी तेजी का असर अन्य सभी तेलों पर भी पड़ रहा है. राइसब्रान तेल भी 20 रुपए उछलकर 1,000 रुपए प्रति दस किलो बिकने लगा है. सिर्फ मूंगफली तेल के दाम कुछ स्थिर हैं, उसकी वजह उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. मूंगफली तेल 1400 रुपए पर बिक रहा है, हालांकि जुलाई में यह 1300 रुपए था. केवल कॉटन सीड तेल के दाम ही नहीं बढ़े हैं. यह 1050 रुपए पर स्थिर है और 6 महिने पहले यह 1100 रुपए में बिक चुका है.

चीन जमा कर है भारी स्टॉक!

व्यापारियों का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में चीन (China) द्वारा खाद्य तेलों की भारी खरीद कर भारी स्टॉक जमा किए जाने की चर्चा है. अमेरिका से तनाव के चलते उससे खरीदने की बजाय चीन अब मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील और अर्जेंटीना से खाद्य तेल खरीद रहा है. जिससे पाम, सोया और सनफ्लावर तेल नई ऊंचाईयों पर पहुंच रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इन दिनों चीन अपनी जरूरत से ज्यादा खरीद कर रहा है और भारी स्टॉक किए जा रहा है. इसके पीछे उसकी कुछ मंशा और दिख रही है. बहरहाल चीन की भारी खरीद ने खाद्य तेलों में आग लगा दी है और कीमतें आसमान छूने लगी है.

आयात शुल्क नहीं, 5% GST घटाए सरकार    

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में आई तेजी के कारण देश में आयात शुल्क कटौती बेअसर हो गई है. भारत ने जैसे ही आयात शुल्क घटाया, उसके तुरंत बाद मलेशिया और इंडोनेशिया ने पाम तेल पर निर्यात शुल्क बढ़ा दिया. इससे इन देशों का राजस्व बढ़ गया, लेकिन भारत को राजस्व का नुकसान हो रहा है और देश की जनता को राहत भी नहीं मिली. लिहाजा भारत सरकार को आयात शुल्क कटौती की बजाय 5% जीएसटी घटा कर जीरो कर देना चाहिए, ताकि जनता को राहत मिल सके और आयात शुल्क राजस्व का नुकसान भी ना हो. भारत अपनी जरूरत के लिए आयात पर बहुत ज्यादा (70% तक) निर्भर है. इसलिए ग्लोबल मार्केट में तेजी रहेगी तो यहां कीमतें घटना मुश्किल है.