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Published: Feb 09, 2024 12:16 PM ISTTeri Baaton Uljha Aisa Jiya Reviewरोबोटिक प्रेम कहानी का इंसानी एहसास, वैलेंटाइन डे के मौके पर देखिए प्यार का अनोखा रंग
मुंबई: शाहिद कपूर और कृति सेनन स्टारर फिल्म ‘तेरी बातों में उलझा ऐसा जिया’ रिलीज हो चुकी है। कथानक के स्तर पर देखें तो फिल्म में पहली बार एक नया प्रयोग किया गया है। इंसान और रोबोट की प्रेम कहानी एक नई कल्पना हो सकती हैं। फिलहाल ये हिंदी जनमानस को सूट नहीं करती। चूंकि सिनेमा आजकल प्रयोग के दौर से गुजर रहा है तो सोचने में कोई बुराई नहीं है। बहरहाल ..
इंट्रेस्टिंग है फिल्म की कहानी
‘तेरी बातों उलझा ऐसा जिया’ आर्यन नाम के एक इंजीनियर की कहानी है, जिसका रोल शाहिद कपूर निभा रहे हैं। आर्यन एक रोबोटिक्स इंजीनियर है। उसकी मासी भी इसी फील्ड से जुड़ी हुई हैं और इंडिया के साथ-साथ अमेरिका में भी अपनी रोबोटिक कंपनी चलाती हैं। मासी के जरिए उसकी जिंदगी में सिफरा (कृति सेनन) नाम की एक लड़की की एंट्री होती है। हमेशा शादी के लिए मना करने वाला आर्यन सिफरा की अदा पर फिदा हो जाता है। उसी के साथ अपने अरमानों को संजोने लगता है। हालांकि, यहां पर एक ट्विस्ट तब आता है, जब उसे पता चलता है कि सिफरा तो लड़की है नहीं, बल्कि वो तो एक रोबोट है। यही से कहानी में एक ट्विस्ट आता है जो दिलचस्प है लेकिन आसानी से हजम होने वाली नहीं है। फिल्म के क्लाइमेक्स में सरप्राइज और अंत को दिलचस्प बनाने की कोशिश की गई है।
कलाकारों की एक्टिंग काफी अच्छी है
शाहिद कपूर को ऐसे रोल सूट करते हैं। खासकर दिलजले प्रेमी का किरदार वो परदे पर बखूबी निभाते हैं। इस फिल्म में भी उनकी एक्टिंग अच्छी है। खासकर जब उन्हें पता चलता है कि उनकी प्रेमिका एक इंसान नहीं बल्कि एक रोबोट है, तो उनके एक्सप्रेशन देखने लायक है। कृति सेनन शानदार तरीके से रोबोट के रोल में ढली हैं और पर्दे पर उनकी प्रेजेंस भी अच्छी लगती है। वहीं धर्मेंद्र भी इस फिल्म का हिस्सा हैं, जो वो शाहिद के दादाजी का किरदार निभा रहे हैं। इस छोटे से रोल में भी वो ऑडियंस के चेहरे पर हंसी लाने का दम रखते हैं। पिक्चर के आखिर में जान्हवी कपूर भी दिखी हैं। उनका छोटा-सा कैमियो रोल है। डिंपल कपाड़िया अपने किरदार की जरूरत पूरी करती हैं। बाकी के कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है।
दिलचस्प कहानी का कमजोर ट्रीटमेंट
अमित जोशी और आराधना साह के निर्देशन में बनी फिल्म का पहले हाफ का बेहतर होना जरूरी था। फिल्म पर उनकी पकड़ दूसरे भाग में ही स्पष्ट हो जाती है। कहानी और विषय तो दिलचस्प है लेकिन उस लिहाज से फिल्म का ट्रीटमेंट थोड़ा कमजोर है।अगर कुछ और मजेदार सीन शामिल किए जाते तो फिल्म और अच्छी लगती। सचिन जिगर का संगीत औसत है। टाइटल सॉन्ग को छोड़कर कोई भी गाना आपके दिल को नहीं छू पायेगा। आप गानों के बीच आराम से बाहर जा सकते हैं।
लॉजिक से परे हैं फिल्म
बॉलीवुड की फिल्मों में लॉजिक को काफी महत्व दिया जाता है। लेकिन इस फिल्म में यही कमी है। हर चीजें लॉजिक से परे नजर आ रही हैं। अगर आप भी कुछ अतरंगी देखना और एहसास करना चाहते हैं तो इस फिल्म को भी आजमा सकते हैं। कुल मिलाकर एक अलग तरह की फिल्म बनाने की कोशिश की गई है और यह कोशिश कुछ हद तक सफल भी रही है। वैलेंटाइन डे के मौके पर आई इस फिल्म को आप दिल बहलाने के लिए तो देख ही सकते हैं।