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Published: Dec 28, 2020 04:33 PM IST

किसान आंदोलनकिसानों के प्रस्ताव पर सरकार का जवाब, 30 दिसंबर को होगी बैठक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Bill) को लेकर किसान संगठनों (Farmer Organizations) द्वारा भेजे गए पत्र पर कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने जवाब दिया है। जिसके तहत 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित विज्ञान भवन (Vigyan Bhavan) में किसानों (Farmer) और सरकार (Central Government) के बीच बैठक होगी।

ज्ञात हो कि सरकार के भेजे प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने शनिवार 26 दिसंबर को जवाब देते हुए कुशी कानूनों पर फिर से बात करने का प्रस्ताव भेजा था। किसानों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बैठक होने को कहा था। सरकार को भेजे अपने पत्र में किसानों ने चार बिंदुओं पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा था।

इन बिंदुओं पर होगी चर्चा

जिसमें तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए स्वामीनाथन कमीशन द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गांरटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान,राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव हैं।

ठोस प्रस्ताव के साथ आने के लिए एक दिन 

किसानों ने सरकार को बात करने के लिए 29 दिसंबर की तारीख तय की थी, लेकिन सरकार ने एक दिन बढ़ाकर बैठक तय की हैसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार का एक और अतिरिक्त दिन लेने के पीछे ठोस और मजबूत प्रस्ताव बनाकर किसानों के सामने पेश कर सके

छह दौर की बातचीत हो चुकी 

कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन उसमे समस्या का कोई उपाय नहीं निकला। किसान लगातार अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. वह एमएसपी को क़ानून बनाने और तीनों कृषि कानूनों रद्द करने से कम पर राजी नहीं है। सरकार ने फिर से बातचीत शुरू करने के लिए किसानों को दो बार चिट्ठी लिखकर समय और दिन तय करने का आग्रह किया था।

बैठक में निकलेगा समाधान 

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, “हम आशावान हैं कि कल की बैठक में सफलता मिलेगी और हम एक समाधान तक पहुंच सकेंगे। अगर वो किसान के चश्मे से देखेंगे तो सफल परिणाम आएगा लेकिन राजनीतिक चश्मे से सफलता शायद न मिल सके। ये कानून किसान को आज़ादी देने वाले हैं।”