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Published: Jul 14, 2023 08:59 PM IST

Delhi Excise Policyदिल्ली आबकारी नीति: SC ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर CBI-ED को भेजा नोटिस, 28 जुलाई तक मांगा जवाब

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) से संबंधित दो मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शुक्रवार को 28 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलील पर गौर किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।

पीठ ने कहा कि वह अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी और इसके लिए वह सीबीआई और ईडी से जवाब मांग रही है। सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने कहा कि आम तौर पर अदालत नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन यह अन्य कारणों से नीति बनाने का मामला है।

सीबीआई और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि निचली अदालत ने अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, पीठ ने राजू को जांच एजेंसियों की ओर से जवाब दाखिल करने को कहा। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने 10 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई के लिए आज की तारीख तय की थी। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के आखिर में इसे वापस ले लिया गया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें ‘‘घोटाले” में उनकी कथित भूमिका के लिए पहली बार 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उपमुख्यमंत्री एवं आबकारी विभाग का मंत्री होने के नाते, वह एक ‘हाई-प्रोफाइल’ व्यक्ति हैं, जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

अदालत ने तीन जुलाई को आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं। (एजेंसी)