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Published: Jul 18, 2022 02:31 PM IST

GST Hike25 किलो तक की पैकिंग वाले खाद्यान्न पर ही GST, खुदरा व्यापारियों पर इंस्पेक्टर राज!

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई: गैर रजिस्टर्ड ब्रांड (Non Registered Brand) वाले अनाज-दाल (Foodgrains) और अन्य खाद्य वस्तुओं पर 5% जीएसटी (GST) लगाए जाने का देश भर में हो रहे कड़े विरोध के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Ministry Of Finance) ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि यह टैक्स केवल 25 किलो तक की पैकिंग (Upto 25 kg Packing) पर ही लगेगा। 25 किलो से ऊपर की पैकिंग पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 

इस स्पष्टीकरण से अधिकांश थोक व्यापारी तो जीएसटी के दायरे से बाहर हो जाएंगे, लेकिन देश के करोड़ों खुदरा व्यापारियों (Retail Traders) के लिए जीएसटी का झंझट और खर्च बढ़ जाएगा। साथ ही उनकी खाद्य वस्तुएं 5% महंगी हो जाएंगी, जिसका बोझ तो आम जनता पर ही पड़ेगा।

सभी खाद्यान्न जीएसटी से मुक्त किए जाएं : कैट

वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी कहा है कि जो व्यापारी इस टैक्स (जीएसटी) के दायरे में आएंगे, उनके दिए हुए टैक्स का इनपुट क्रेडिट रिफंड होगा। वहीं लूज माल बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस बड़ी राहत के लिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जीएसटी परिषद और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष विवेक जौहरी को धन्यवाद देते हुए कहा है कि उन्होंने ‘कैट’ द्वारा उठाये गए मुद्दों पर स्पष्टीकरण देकर इस मामले को कुछ हद तक सरल बना दिया है। ‘कैट’ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि संगठन अपने इस मत पर कायम है कि लोगों के लिए जीवनावश्यक सभी खाद्यान्न जीएसटी से मुक्त होने चाहिए और इन पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं होना चाहिए जबकि इन पर राज्यों के मंडी टैक्स (Mandi Tax) पहले से ही लागू है। लिहाजा ‘कैट’ अपनी इस मांग पर कायम है कि छोटी पैकिंग पर भी बिना रजिस्टर्ड ब्रांड वाले अनाज-दाल तथा अन्य खाद्य वस्तुओं पर 5% जीएसटी तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में जन विरोधी फैसला

व्यापारियों के शीर्ष संगठन ‘कैट’ के मुंबई अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि कहा कि अब सभी प्रकार के सूखे एवं तरल खाद्यान्न सहित पैक्ड दही, लस्सी, बटर मिल्क होंगे महंगे हो जाएंगे, क्योंकि इन वस्तुओं पर अब 5% जीएसटी लगेगा। जिसका बोझ सीधे तौर पर आम आदमी पर पड़ेगा। जीएसटी परिषद (GST Council) का यह जन विरोधी फैसला बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार को बढ़ावा देगा और देश के करोड़ों खुदरा व्यापारियों को नुकसान पहुंचाएगा। आश्चर्य इस बात का है कि जब जीएसटी परिषद ने पिछले माह यह जन विरोधी फैसला लिया तो किसी भी राज्य के वित्त मंत्री ने इसका विरोध नहीं किया, जबकि जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। क्या सभी ऐसे महंगाई बढ़ाने वाले फैसले पर सहमत है? इसलिए संगठन इस मुद्दे पर अपना विरोध जारी रखेगा।

देशव्यापी आंदोलन की योजना

इस बीच, ‘कैट’ ने दिन-प्रतिदिन जटिल होते जीएसटी कानून एवं नियमों की नए सिरे से समीक्षा कर एक नया जीएसटी कानून एवं उसके नियम बनाने की मांग को लेकर आगामी 26 जुलाई से एक देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई। ‘कैट’ का यह राष्ट्रीय अभियान 26 जुलाई को भोपाल से शुरू किया जाएगा। इस दिन मध्य प्रदेश के समस्त व्यापारी नेताओं और देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक महा सम्मेलन भोपाल में बुलाया गया है, जिसमें इस आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।