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Published: Jan 12, 2022 02:16 AM IST

Woman Rightविवाहिता हो या नहीं, हर महिला को असहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को ना कहने का अधिकार: हाई कोर्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के सम्मान में अंतर नहीं किया जा सकता और कोई महिला विवाहित हो या न हो, उसे असहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को ‘ना’ कहने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि एक महिला, महिला ही होती है और उसे किसी संबंध में अलग तरीके से नहीं तौला जा सकता।

उच्च न्यायालय ने कहा, “यह कहना कि, अगर किसी महिला के साथ उसका पति जबरन यौन संबंध बनाता है तो वह महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) का सहारा नहीं ले सकती और उसे अन्य फौजदारी या दीवानी कानून का सहारा लेना पड़ेगा, ठीक नहीं है।”

वैवाहिक बलात्कार को आपराधिकरण करार दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पीठ ने पूछा, “यदि वह विवाहिता है तो क्या उसे ‘ना’ कहने का अधिकार नहीं है?”

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत पति पर अभियोजन चलाने से छूट ने एक दीवार खड़ी कर दी है और अदालत को यह देखना होगा कि यह दीवार संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन की रक्षा) का उल्लंघन करती है या नहीं।

अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध किया। पीठ, गैर सरकारी संगठनों आरआईटी फाउंडेशन, आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन, एक व्यक्ति और एक महिला द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। (एजेंसी)