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Published: Nov 28, 2021 04:49 PM IST

President Ram Nath Kovind राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- 'विश्व के हर क्षेत्र, विचारधारा ने योग को अपनाया है'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

हरिद्वार: योग को पंथ और संप्रदाय की सीमा से परे बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि विश्व के हर क्षेत्र और साम्यवादी सहित हर विचारधारा के लोगों ने इसे अपनाया है। यहां पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कोविंद ने कहा कि कुछ लोगों की यह गलत धारणा हैं कि योग किसी पंथ या संप्रदाय से संबंधित है । उन्होंने कहा, ‘सही मायनों में योग को शरीर और मन को स्वस्थ रखने तथा उच्चतर लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक पद्धति है।

इसलिए योग को विश्व के हर क्षेत्र और विचारधारा के लोगों ने अपनाया है । ‘वर्ष 2018 की अपनी विदेश यात्रा को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर वह सूरीनाम में थे जहां उन्होंने वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति देसी बोतरस और लोगों के साथ यह दिवस मनाया । उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि वह ऐसा एकमात्र ऐतिहासिक दिन था कि जब दो देशों के राष्ट्रपतियों ने एक साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया ।     

उन्होंने बताया कि अगले दिन वह क्यूबा पहुंचे जहां के बारे में मान्यता है कि साम्यवादी योग को नहीं मानते और उसे किसी पंथ या संप्रदाय से जोड कर देखते हैं । लेकिन, वहां के लोगों ने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर समारोह आयोजित किया ।     उन्होंने कहा कि यही नहीं क्यूबा के राष्ट्रपति डिआज कैनल ने योग को भारत का पूरी मानवजाति को दिया गया सर्वश्रेष्ठ उपहार बताया और कहा कि वह भी योग करते हैं । राष्ट्रपति ने कहा कि भारत लौटने के बाद उन्होंने क्यूबा के राष्ट्रपति के लिए एक प्रशिक्षित योग शिक्षक और योग से संबंधित साहित्य भेजा जिसके लिए उन्होंने बाद में धन्यवाद भी भेजा ।     

राष्ट्रपति ने कहा कि अरब योग फाउंडेशन की संस्थापक नॉफ मारवाई को हाल ही में सउदी अरब की सरकार ने योग के विशेष प्रचार—प्रसार की जिम्मेदारी दी है । उन्होंने कहा कि मारवाई को 2018 में उन्होंने योग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पदमश्री पुरस्कार भी दिया ।       

‘योग को सबके लिए है और सबका बताते हुये कोविंद ने योग की लोकप्रियता बढाने के लिए स्वामी रामदेव के अभूतपूर्व योगदान की सराहना की और कहा कि उन्होंने जनसामान्य को भी योगाभ्यास से जोड कर अनगिनत लोगों का कल्याण किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आधुनिक विज्ञान के साथ हमारे पारंपरिक ज्ञान से भारत को ‘नॉलेज सुपरपॉवर’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और उस पर पतंजलि विश्वविद्वालय अग्रसर है। 

   

उन्होंने कहा कि जहां आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने अनेक उपकरणों की सहायता से अदभुत प्रगति की है वहीं आयुर्वेद तथा योग विज्ञान ने सृष्टि द्वारा विकसित सर्वश्रेष्ठ उपकरण अर्थात मानव शरीर पर गहनता से शोध करके उसके माध्यम से ही रोगमुक्त और भोगमुक्त होने के प्रभावी मार्ग विकसित किए। उन्होंने सृष्टि के साथ सामंजस्य के लिए प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली को जरूरी बताते हुए कहा कि प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ गठित करने की भी सराहना की और कहा कि इस पहल से हमारे देश की ज्ञान परंपरा को संपूर्ण विश्व में प्रसारित किया जा सकेगा।     

कोविंद ने कहा कि अन्य देशों से भी इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का आना शुरू हो गया है और उन्हें आशा है कि भविष्य में विदेश से यहां आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे भारतीय मूल्यों का विश्व में और प्रचार प्रसार होगा । उन्होंने कहा, ‘ 21 वीं सदी में नए भारत के उदय में पतंजलि विवि का यह विशेष योगदान होगा ।’     

आजादी का अमृत महोत्सव काल में राष्ट्रपति ने ऐसे विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को और प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत बताई जो अपनी संस्कृति को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नई उर्जा प्रदान कर रहे हैं । आज उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या 60 फीसदी होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कोविंद ने कहा कि भारतीय परंपरा पर आधारित आधुनिक शिक्षा का विस्तार करने में हमारी बेटियां अग्रणी भूमिका निभा रही हैं । 

उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आप सभी छात्राओं में से आधुनिक युग की गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, रोमसा और लोपामुद्रा निकलेंगी जो भारतीय मनीषा और समाज की श्रेष्ठता को विश्व पटल पर स्थापित करेंगी।’ (एजेंसी)