देश

Published: Oct 12, 2020 03:05 PM IST

सुशांत सिंह राजपूतसुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत की CBI जांच के लिए याचिका पर सुनवाई टली

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान (Disha Salian) की मौत की घटना की अदालत की निगरानी में सीबीआई (CBI) जांच के लिये याचिका पर सोमवार को सुनवाई एक सप्ताह के लिये स्थगित कर दी क्योंकि इस मामले में कोई वकील पेश नहीं हुआ। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह मामला सुनवाई के लिये सूचीबद्ध था।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘इस मामले में कोई पेश नहीं हो रहा है? पिछली तारीख पर भी कोई पेश नहीं हुआ था? हमें क्या करना चाहिए? हमने पिछली तारीख पर ही कहा था कि आपको बॉम्बे हाईकोर्ट जाने के बारे में विचार करना चाहिए।”

इस टिप्पणी के साथ ही पीठ ने पुनीत कौर ढांडा की जनहित याचिका एक सप्ताह के लिये स्थगित कर दी। दिशा सालियान की मौत की घटना की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच के लिये दायर इस याचिका में यह अनुरोध भी किया गया है कि मुंबई के शीर्ष पुलिस अधिकारी को इस मामले की जांच की विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया जाये।

अधिवक्ता पुनीत ढांडा के माध्यम से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान की मौत की घटनायें परस्पर जुड़ी हैं क्योंकि दोनों ही संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई हैं। याचिका के अनुसार, ‘‘सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद दिशा सालियान और सुशांत की मौत के बीच तरह तरह की साजिश की कहानियों का बाजार गर्म है। दोनों ही अपने अपने क्षेत्र में सफलता की बुलंदी पर थे जब उनकी मृत्यु हुयी।”

दिशा सालियान (28) की आठ जून को मुंबई के मलाड (पश्चिम) में एक रिहाइशी इमारत की 14वीं मंजिल से गिरने के बाद मौत हो गयी। इसके चंद दिन बाद ही 14 जून को 34 वर्षीय सुशांत मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेन्ट में छत से लटके मिले।

सुशांत की मौत के मामले की जांच शुरू में मुंबई पुलिस कर रही थी। बाद में अगस्त महीने में उच्चतम न्यायालय ने इसे सीबीआई को सौंप दिया था। याचिका में कहा गया है कि अगर शीर्ष अदालत मुंबई पुलिस की जांच रिपोर्ट के अवलोकन के बाद उससे संतुष्ट नहीं होती है तो इसे सीबीआई को हस्तांतरित कर देना चाहिए।