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Published: Jun 20, 2022 06:53 PM IST

Rid Of Stutteringइन तरीकों से आप दूर कर सकते हैं बच्चों के हकलाने या तुतलाने की आदत, आजमा कर देखें

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

कई छोटे बच्चों को जन्म से ही हकलाने या तुतलाने की बीमारी होती है। वो शब्दों को साफ तरीके से नहीं बोल पाते हैं। हकलाना सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन यह आमतौर पर 2 से 6 साल के बच्चों में ज्यादा देखा जाता है। लगभग 75 प्रतिशत बच्चे समय के साथ इस हकलाना को खो देते हैं। अगर आपके बच्चे को हकलाने या तुतलाने की आदत है तो ऐसे में दवाइयों की जगह कुछ घरेलू नुस्खे कारगर साबित हो सकते हैं। तो क्या हैं वो चीजें आइए जानते हैं।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, सोने से पहले एक गिलास दूध में छुहारे को उबालकर बच्चे को पिलाने से भी आवाज साफ होती है। इससे बच्चे की हकलाने की आदत ठीक हो जाती है।

आंवला आयरन से भरपूर होता है जो ब्लड सर्कुलेशन में मदद करती है। आंवला खाने पर जीभ पतली होती है, जिससे बच्चे की अवाज साफ निकल सकती है। अगर बच्चा हकलाता है तो 1 गिलास पानी में 5 ग्राम सौंफ़ को कूटकर उबाल लें। अब इस पानी को आधा होने तक खौलाएं। इसके बाद इसे हल्का ठंडा करके इसमें 50 ग्राम मिश्री और 250 ग्राम गाय का दूध मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इससे तुतलाना बंद हो जाएगा।

जानकारों के अनुसार, शहद और नमक दोनों मांसपेशियों को हल्का करती हैं और ब्रेन के परफॉर्मेंस में मदद करती है, जिससे बोलना आसान हो जाता है। अच्छे रिजल्ट के लिए आप एक चम्मच शहद लें और फिर इसमें थोड़ा सा नमक मिलाएं। अच्छे से मिक्स करें और फिर अपनी जीभ पर कम से कम 10 मिनट के लिए रगड़ें। दिन में दो बार इसे करें और आपको अच्छे रिजल्ट दिखेंगे।

इन बातों का भी रखें ध्यान

स्लो बोलें: हकलाने को रोकने के इफेक्टिव तरीकों में से एक, धीरे बोलने की कोशिश करना है। किसी भी बात को पूरा करने के लिए जल्दबाजी करने से आप हकला सकते हैं, कई बार जल्दी बोलने पर शब्दों को बाहर निकालने में परेशानी हो सकती है। इसके लिए सबसे अच्छा है कि गहरी सांसें लें और फिर धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करें।

ध्यान लगाएं: माइंडफुलनेस ध्यान का एक रूप है जो आपको शांत रहने और अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह आपको आराम करने में मदद कर सकता है और इसी के साथ ये टेंशन को दूर करने में मदद कर सकता है।

प्रैक्टिस करें : किसी करीबी दोस्त या परिवार के सदस्य से बात करके देखें कि क्या वे आपके साथ बैठकर बात कर सकते हैं। अगर ऐसा हो तो उनके साथ बैठ कर कुछ देर बात करें और अपने शबदों को सुधारने की कोशिश करें।