धर्म-अध्यात्म
Published: Sep 27, 2023 11:32 AM ISTAnant Chaturdashi 2023कल है 'अनंत चतुर्दशी', जानिए इस विशेष चतुर्दशी की महिमा और पूजा का शुभ मुहूर्त
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ‘अनंत चतुर्दशी’ (Anant Chaturdashi 2023) का पावन पर्व मनाई जाती है। इस वर्ष, यह पावन तिथि कल यानी 28 सितंबर को है। इसे ‘अनंत चौदस’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, इस दिन ही 10 दिनों के गणेश उत्सव का समापन भी होता है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि, ‘अनंत चतुर्दशी’ तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा कर रक्षासूत्र बांधने से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर को देर रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 28 सितंबर को संध्याकाल 6 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। वहीं, अनंत पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 12 मिनट से लेकर संध्याकाल 6 बजकर 49 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान नारायण की पूजा-उपासना कर सकते हैं। साथ ही पूजा कर रक्षा सूत्र बांध सकते हैं।
पूजा विधि
- अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत संकल्प लें और पूजा घर की सफाई करने के साथ गंगाजल का छिड़काव करें। उसके बाद कलश स्थापित करें।
- फिर कलश में बर्तन रखें। इसमें कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें। अगर अनंत बनाना मुश्किल है, तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी रख सकते हैं।
- इसके बाद अनंत सूत्र तैयार करने के लिए एक धागे में कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें 14 गांठ बांध लें। उसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने चढ़ा दें।
महिमा
अनंत चतुर्दशी भगवान नारायण के पूजन का पर्व है। इस दिन ही भगवान विष्णु ने 14 लोकों यानी तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इस दिन ही गणेश जी को विसर्जित करते हैं। जिन लोगों के रोग ठीक नहीं हो रहे हैं। उन लोगों को ये व्रत जरूर रखना चाहिए। परिवार में कोई भी इस व्रत को रख सकता है। चाहे पति के लिए पत्नी, पत्नी के लिए पति, पिता के लिए पुत्र यह व्रत कर सकता है।