धर्म-अध्यात्म

Published: Feb 01, 2022 06:16 PM IST

Gupta Navratri 2022आज से शुरू हो रही 'गुप्‍त नवरात्र‍ि', जानिए इसकी महिमा और पूजा विध‍ि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
File Photo

-सीमा कुमारी

माता दुर्गा की साधना का पर्व ‘गुप्त नवरात्रि’ (Gupt Navratri) 02 फरवरी से आरंभ है। सनातन परंपरा में ‘शक्ति’ की साधना का महापर्व ‘नवरात्रि’ (Navratri) दो नहीं बल्कि चार हैं।

साल भर में चार बार ‘नवरात्रि’ आती है। चैत्र और अश्‍व‍िन में आने वाली नवरात्र‍ि को ‘प्रकट नवरात्र‍ि’ कहा जाता है और माघ और आषाढ में आने वाली नवरात्र‍ि को ‘गुप्‍त नवरात्र‍ि’ कहा जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। मां के नौ स्‍वरूपों शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री हैं, जिनकी नवरात्रि में पूजा की जाती है।

‘गुप्त नवरात्रि’ में दस महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्‍वरी, छिन्‍नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी की गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है। आइए जानें  इसका धार्मिक महत्व एवं पूजन विधि के बारे में –

‘गुप्त नवरात्रि’ घट स्थापना:

‘गुप्त नवरात्रि’ में भी देवी पूजा के प्रथम दिन कलश की स्थापना की जाती है और पूरे नौ दिनों तक सुबह-शाम देवी की पूजा-पाठ, करते हैं।

घटस्थापना मुहूर्त:

02 फरवरी 2022, बुधवार,  प्रात: 07:09 से 08:31 तक

पूजा-विधि

‘गुप्त नवरात्रि’ के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर साधक को स्नान-ध्यान करना चाहिए।

देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि चढ़ाएं।

इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। इसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहे हैं।

इसके साथ मंगल-कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें।

फिर फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें।  

इसके बाद अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें।

उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें।  

पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।

महत्व

‘नवरात्रि’ में जहां देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, वहीं ‘गुप्त नवरात्रि’ में दस महाविद्याओं (मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी) की साधना-आराधना की जाती है। ‘गुप्त नवरात्रि’ में शक्ति की साधना को अत्यंत ही गोपनीय रूप से किया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को जितनी ही गोपनीयता के साथ किया जाता है, साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा बरसती है।