धर्म-अध्यात्म

Published: Sep 10, 2022 07:49 PM IST

Pitru Paksha 2022पितृपक्ष श्राद्ध में कौए को भोजन कराना इसलिए है महत्वपूर्ण, भगवान राम से जुड़ी है कथा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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– सीमा कुमारी

इस वर्ष ‘पितृपक्ष’ (Pitru Paksha) की शुरुआत 10 सितंबर से होने जा रही है। इस दौरान अगले 15 दिनों तक श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा। श्राद्ध-पक्ष में नियम है कि इसमें पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है। इसके अलावा, पितृपक्ष में कौए का बड़ा महत्व है। कौए को यम का प्रतीक माना गया है।

श्राद्ध पक्ष में कौए को अन्न खिला कर पितरों को तृप्त किया जाता है। मान्यता है कि यदि पितृपक्ष में घर के आंगन में कौआ आकर बैठ जाएं तो यह बहुत शुभ होता है। अगर कौआ दिया हुआ भोजन खा लें तो अत्यंत लाभकारी होता है। इसका मतलब है कि पितृ आपसे प्रसन्न हैं और आशीर्वाद देकर गए हैं। आइए जानें श्राद्ध पक्ष में कौएं अन्न खिलाने का इतना महत्व क्यों है इसे लेकर गरुड़ पुराण में क्या बताया गया है।

शास्त्रों के अनुसार, कौए को यमराज का संदेश वाहक माना गया है। कौए के माध्यम से पितृ आपके पास आते हैं। अन्न ग्रहण करते हैं और आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध पक्ष में कौए को खाना खिलाना यानी अपने पूर्वजों को भोजन खिलाने के बराबर है। पितृ पक्ष में कौए को प्रतिदिन खाने को कुछ देना चाहिए। इससे सभी तरह का संकट दूर होता है।

सनातन धर्म में कौए का अधिक महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार कौए की स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती हैं। कौए की मौत बीमारी और वृद्धावस्था से भी नहीं होती है। इनकी मृत्यु आकस्मिक होती है। कहा जाता है कि कौए के मरने पर उसके बाकी साथी उस दिन भोजन नहीं करते हैं।

इसको लेकर एक और मान्यता प्रचलित है कि एक बार कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी। इसे देखकर श्री राम ने अपने बाण से उसकी आंखों पर वार कर दिया और कौए की आंख फूट गई। कौवे को जब इसका पछतावा हुआ तो उसने श्रीराम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने आशीर्वाद स्वरुप कहा कि तुमको खिलाया गया भोजन पितरों को तृप्त करेगा। भगवान राम के पास जो कौवा के रूप धारण करके पहुंचा था। वह देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवे को भोजन खिलाने का विशेष महत्व है।