Bhadrapad month begins, learn some important things
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    – सीमा कुमारी 

    सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में पूर्णिमा (Purnima) तिथि का विशेष महत्व होता है। इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा आज यानी 10 सितंबर, दिन शनिवार को है। भादो महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को ‘भाद्रपद पूर्णिमा’ (Bhadrapada Purnima) कहते हैं। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध-पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे ‘श्राद्ध पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ के अलावा पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं। आइए जानें भाद्रपद पूर्णिमा का मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व-

    मुहूर्त  

    भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 09 सितंबर 2022 को शाम 06 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 10 सितंबर 2022 शनिवार को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा।

    पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

    चंद्रोदय समय- शाम 06 बजकर 49 मिनट से

    भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त  

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृपक्ष का भाग नहीं होता है। जिनकी मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है। उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है। कोई इस दिन श्राद्ध कर्म करना चाहे तो मुहूर्त के अनुसार सुबह 11:59 से शाम 04:08 तक कर सकता है।

    पूजा विधि

    किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। इसके बाद विधिवत तरीके से भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। उन्हें फल-फूल अर्पित करें। आज के दिन पूजन के बाद भगवान सत्यनारायण की कथा जरूर सुननी चाहिए। इसके बाद लोगों में पंचामृत और प्रसाद वितरण करें। प्रसाद में पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आज के दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

    महत्व  

    पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण की पूजा करना उत्तम फलदायी माना गया है। कलयुग में सत्यनारायण देव की उपासना से व्यक्ति को धन प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। पूर्णिमा पर व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से इंसान मोक्ष को प्राप्त करता है। उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। सारे कष्ट दूर होते है। भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर का व्रत भी किया जाता है। इसमें शंकर पार्वती की पूजा करने से पिछले जन्म के पाप और दोष खत्म हो जाते है।