धर्म-अध्यात्म

Published: Sep 16, 2021 08:30 AM IST

Pitru Paksha 2021'पितृपक्ष' में इन बातों का रखें ध्यान, मिलेगा पितरों का शुभाशीष

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

हिंदू धर्म में ‘पितृपक्ष’ का बड़ा महत्व है। हर साल भादो महीने की पूर्णिमा तिथि से ‘पितृपक्ष’ शुरू होता है, और यह आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। इस वर्ष श्राद्ध 20 सितंबर से शुरू होकर 06 अक्टूबर तक चलेंगे। ‘पितृपक्ष’ में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की एक विशेष परंपरा है। हिन्दू धर्म में इन दिनों का विशेष महत्व होता है। ‘पितृपक्ष’ पर पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं। एक पक्ष तक चलने वाले इस श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण विधि-विधान से किया जाता है। ‘श्राद्ध’ का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करना।

सनातन मान्यता के मुताबिक, जो परिजन अपना देह त्यागकर परलोक चले गए हैं, उनकी आत्मा की शान्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, ‘उसे श्राद्ध’ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज ‘श्राद्ध- पक्ष’ में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। मृत परिजनों को पितर कहा जाता है। ‘पितृपक्ष’ में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।

‘पितृपक्ष’ में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है। लेकिन, श्राद्ध करते समय कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना बहुत ही जरूरी होता  होता है।आइए जानें इस बारें में –

ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, अमावस्या के दिन सर्वपित्र श्राद्ध, पिंड दान या तर्पण का बहुत ही महत्व है। इस दिन उन पितरों का तर्पण किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात न हो, जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। इस दिन उनके निमित दान तर्पण का अत्यंत महत्व होता है।

कहते हैं कि, इस दिन पूर्वजों की इच्छा अनुसार दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए। दान में सर्वप्रथम गौ दान करना चाहिए। फिर तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, पैसा, नमक और फल का दान करना चाहिए। यह दान संकल्प करवा कर ही देना चाहिए और अपने पुरोहित या ब्राह्मण को देना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में यह दान तिथि अनुसार ही करें। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद परिवार वाले पर सदैव बना रहता है।

ज्योतिष-शास्त्र का कहना है कि, जाने अनजाने में आप कोई गलती या अपराध कर देते हैं, और आप अपराध बोध से ग्रसित हैं, तो ऐसी स्थिति में आप अपने गुरू से अपनी बात कहकर अपने पितरों से क्षमा मांगें और उनकी तस्वीर पर तिलक करें। उनके निमित संध्या समय में तिल के तेल का दीपक जरूर प्रज्वलित करें और अपने परिवार सहित उनकी तिथि पर लोगों में भोजन बांटें और अपनी गलती को स्वीकार कर क्षमा याचना मांगें। ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होंगे और इससे आपका कल्याण भी होगा। 

श्राद्ध के समय कोई उत्साहवर्धक कार्य नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पितरों के निमित्त भावभीनी श्रंद्धाजलि का समय होता है। इसलिए इस दिन तामसिक भोजन न करें। घर के प्रत्येक सदस्यों के द्वारा दिवंगत आत्मा हेतु दान जरूर करवाएं और उन्हें पुष्पांजलि दें। किसी गरीब असहाए व्यक्ति को भोजन करवाएं और उसे वस्त्र दें।