धर्म-अध्यात्म

Published: Dec 07, 2023 10:09 AM IST

Marriage विवाह में अग्नि को साक्षी मानकर 7 फेरे का महत्व जानें, सात फेरे के 7 वचनों में छुपी है वैवाहिक जीवन की सफलता

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: ‘विवाह’ (Marriage) हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों (sixteen sacraments) में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। विवाह संस्कार के दौरान कई तरह के रीति-रिवाज (customs and traditions) निभाए जाते हैं, जिनमें से 7 फेरे लेना भी एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसके बिना विवाह अधूरा माना जाता है। फेरों के दौरान पवित्र अग्नि के सात फेरे लिए जाते हैं और पति-पत्नी अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए कुछ कस्में लेते हैं।

हिंदू रिवाज के अनुसार, वर-वधु (Bride and Groom) ये 7 वचन अग्नि को साक्षी मानकर लेते हैं जिससे पारिवारिक जीवन को खुशहाल बनाया जा सके। ऐसी मान्यता है कि ये 7 वचन वैवाहिक जीवन की नींव रखते हैं और सारे देवी-देवता नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में आइए जानें वर-वधु द्वारा लिए गए इन वचनों का क्या अर्थ होता है।  

पहला वचन

सात वचनों में से पहले वचन पर दुल्हन, दूल्हे से यह वचन लेती है कि शादी के बाद जब भी आप कोई व्रत-उपवास करें या किसी धार्मिक स्थान पर जाएं तो मुझे भी अपने साथ शामिल करें। अगर आप मेरी इस से सहमत हैं, तो मैं आपके साथ जीवन यापन करने के लिए तैयार हूं।

दूसरा वचन

दूसरे वचन में पत्नी अपने होने वाले पति से यह वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, ठीक उसी प्रकार आप मेरे माता-पिता का भी सदैव सम्मान करेंगे। अगर आप इस बात को स्वीकार करते हैं, तो मुझे आपके वामांग (बाएं अंग का अधिकारी) में आना स्वीकार है।

तीसरा वचन

तीसरा वचन कन्या द्वारा अपने वर से यह लिया जाता है कि जीवन की तीनों अवस्थाओं में आप मेरे साथ खड़े रहेंगे और मेरी बातों का पालन करेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

चौथा वचन

कन्या द्वारा चौथा वचन यह लिया जाता है, कि अब आपके ऊपर कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं थी। पर अब जब आपका विवाह होने जा रहा है,  तो आपको अपने परिवार की जिम्मेदारियों का पूर्ण रूप से निर्वाह करना होगा। अगर आप मेरी इस बात से सहमत हैं, तो ही मैं आपके साथ आने के लिए तैयार हूं।

पांचवां वचन

पत्नी अपने पति से पांचवा वचन यह लेती है कि अगर आप घर के लेन-देन या किसी भी महत्वपूर्ण खर्चे में मेरी भी राय लेंगे, तब ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

छठा वचन

पत्नी द्वारा अपने पति से यह वचन भी लिया जाता है कि यदि में सखियों या अन्य किसी स्त्री के साथ बैठकर समय व्यतीत रही हूं, तो उस समय आप किसी प्रकार से भी मेरा अपमान नहीं करेंगे। साथ ही किसी भी प्रकार की बुरी आदत जैसे जुआ आदि से खुद को दूर रखेंगे। अगर आप मेरी इस बात को मानते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

सातवां वचन

सात फेरों के दौरान सातवें और आखिरी वचन यह लिया जाता है कि आप पराई स्त्री को अपनी माता और बहन के रूप में देखेंगे और हमारे संबंध के बीच तीसरे किसी व्यक्ति का कोई स्थान नहीं होगा। यदि आप यह वचन मुझे देते हैं तो मैं आपके साथ आने के लिए तैयार हूं।