Vivah Panchami 2023

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: ‘विवाह पंचमी’ (Vivah Panchami 2023) हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन   मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल ‘विवाह पंचमी’ 17 दिसंबर 2023 को पड़ रही है। सनातन धर्म में विवाह पंचमी का दिन बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि, इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और माता सीता विवाह सूत्र में बंधे थे। इसलिए इस दिन को उनकी वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है और इसे विवाह पंचमी नाम दिया गया है।

आमतौर पर विवाह पंचमी का नाम सुनते ही लोगों के मन में यही बात आती है कि इस दिन शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना शुभ होता है। लेकिन बता दें कि विवाह पंचमी के दिन विवाह करना अशुभ माना गया है। आइए जानें आखिर विवाह पंचमी के दिन विवाह क्यों नहीं होते।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 16 दिसंबर को रात 8 बजे शुरू होगी और इसका समापन 17 दिसंबर को शाम 5 बजकर 33 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार विवाह पंचमी 17 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान राम और माता का पूजन किया जाता है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। वहीं, शाम के समय 5 बजकर 27 मिनट से रात 10 बजकर 34 मिनट तक का समय भी शुभ है।

विवाह पंचमी पर क्यों नहीं होती शादियां

विवाह पंचमी का दिन शुभ होता है और साथ ही इस दिन कई शुभ मुहूर्त भी होते हैं। लेकिन, फिर भी इस तिथि पर माता-पिता अपनी कन्या का विवाह नहीं कराते है।  कहा जाता है कि इस दिन यदि ग्रह- नक्षत्रों की स्थिति ठीक हो और शुभ मुहूर्त भी हों तब भी विवाह नहीं करना चाहिए। क्योंकि, हिंदू शादी-विवाह के लिए विवाह पंचमी के दिन को अशुभ माना जाता है।

दरअसल ऐसी मान्यता है कि, इस तिथि में भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। हिंदू धर्म में राम और सीता को आदर्श पति-पत्नी के रूप में जाना जाता है और नवविवाहित की खूबसूरत जोड़ी को बड़े-बुजुर्ग राम-सीता जैसा बताकर आशीर्वाद भी देते हैं। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि रामजी और माता सीता का वैवाहिक जीवन बहुत ही कष्टपूर्ण रहा।

विवाह के बाद भगवान राम और सीता जी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। विवाह के बाद राम जी और माता सीता ने 14 वर्ष वनवास में बिताए। वनवास के दौरान ही रावण द्वारा माता सीता का अपहरण भी किया गया।

 भगवान राम जब माता सीता को लंका से ले आए तब उन्हें अग्निपरीक्षा भी देनी पड़ी थी। इतना ही नहीं भगवान राम ने गर्भवती सीता जी का परित्याग भी कर दिया था और सीता जी ने दोनों पुत्र लव और कुश को एक आश्रम में जन्म दिया और उनके आगे का सारा जीवन पुत्रों के साथ वन में ही बीता।

 इन्हीं कारणों को देखते हुए माता-पिता विवाह पंचमी पर अपनी कन्या का विवाह नहीं कराते। माना जाता है कि इस दिन विवाह कराने से कन्या का वैवाहिक जीवन भी राम और सीता जी की तरह कष्टपूर्ण रह सकता है । लेकिन पूजा-पाठ, व्रत और उपाय के लिए विवाह पंचमी के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है।