धर्म-अध्यात्म

Published: Jan 07, 2023 05:05 PM IST

Makar Sankranti 2023मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का महत्व जानें, ऐतिहासिक और पारंपरिक तथ्य भी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘मकर संक्रांति’ (Makar Sankranti) का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं। लेकिन इस बार पंचांग में भेद होने के कारण मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति’ के पर्व में खिचड़ी खाने और दान करने का बड़ा महत्व है। ऐसे में इस त्योहार का एक नाम खिचड़ी भी है। मान्यता है कि खिचड़ी के बिना ‘मकर संक्रांति’ का त्योहार अधूरा माना जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार, खिचड़ी को नवग्रह का प्रसाद भी माना जाता। ‘मकर संक्रांति’ के दिन इसका उपयोग करने पर जीवन में हर तरह के दोष दूर होते हैं। आइए जानें मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों खाई जाती है और क्या है इसका महत्व,  

कैसे शुरू हुई खिचड़ी खाने की परंपरा

कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हुई थी। बताया जाता है कि जब खिलजी ने आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के दौरान भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था और वे भूखे ही लड़ाई के लिए निकल जाते थे। ऐसे समय में बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। क्योंकि यह तुरंत तैयार हो जाती थी। इसके साथ ही ये पौष्टिक होती थी और साथ ही इससे योगियों का पेट भी भर जाता था।  

तुरंत तैयार होने वाले इस पौष्टिक व्यंजन का नाम बाबा गोरखनाथ ने खिचड़ी रखा। खिलजी से मुक्त होने के उपरांत मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया। उस दिन इसी खिचड़ी का वितरण किया गया। तब से मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू हुई। मकर संक्रांति के अवसर पर आज भी गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगता है और लोगों को प्रसाद के रूप में इसे वितरित किया जाता है।

महत्व  

मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, दही चूड़ा के अलावा खिचड़ी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही  है, जो आज भी कायम है। शास्त्रों के अनुसार, खिचड़ी में मिलाए जाने वाले जैसे चावल, काली दाल, हल्दी, हरी सब्जियां आदि पदार्थ का अलग-अलग ग्रहों संबंध है।  

खिचड़ी के चावल चंद्रमा और शुक्र ग्रह की शांति के लिए बहुत लाभकारी है। वहीं, काली दाल के सेवन और दान से शनि, राहू-केतु के दुष्प्रभाव समाप्त होते है। हल्दी का संबंध बृहस्पति से है। खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य से है। खिचड़ी के साथ गुड़ खाने का भी विधान है जिसका संबंध मंगल से है। वहीं हरि सब्जियों का संबंध बुध से है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी के उपयोग से नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है साथ ही आरोग्य का वरदान मिलता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान करने से हर कार्य में सफलता मिलती है।