धर्म-अध्यात्म

Published: Dec 15, 2022 03:07 PM IST

Rukmini Ashtami 2022 रुक्मिणी अष्टमी' के दिन माता लक्ष्मी को 'इस' रंग का सिंदूर चढ़ाएं, धन-धान्य की कभी नहीं होगी कमी, जानिए शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा-विधि

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कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

‘रुक्मिणी अष्टमी’ (Rukmini Ashtami) 16 दिसंबर, शुक्रवार के दिन है। यह तिथि हर साल पौष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

इस दिन देवी रूक्मिणी का व्रत रखा जाता है तथा भगवान कृष्ण जी व रुक्मिणी की पूजा का विधान होता है। शास्त्रों में रुक्मिणी जी को मां लक्ष्मी का अवतार माना गया है। इसके अलावा, रुक्मिणी देवी श्रीकृष्ण की पटरानियों में से एक थीं।

कहते हैं, रुक्मिणी, राधा और भगवान कृष्ण का जन्म भी अष्टमी के दिन भी हुआ था। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी धन-दौलत की चाहत रखने वालों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा, संतान-कामना की पूर्ति के लिए भी। आइए जानें  रुक्मिणी अष्टमी की तिथि,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, महिमा।

तिथि

रुक्मिणी अष्टमी इस साल 16 दिसंबर 2022, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन धनु संक्रांति, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी भी है। इसी दिन से खरमास की शुरुआत भी हो रही है। लक्ष्मीस्वरूपा देवी रुक्मिणी की आराधना वैवाहिक जीवन में खुशहाली और धन में बढ़ोत्तरी होती है।

मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर 2022 को देर रात 1 बजकर 39 मिनट से शरू होगी और अगले दिन 17 दिसंबर 2022 को सुबह 3 बजकर 2 मिनट पर इसका समापन होगा ।

अभिजीत मुहूर्त-

दोपहर 12:02 – दोपहर 12:43 (16 दिसंबर 2022)

पूजा विधि

रुक्मिणी अष्टमी के दिन सुबह सवेरे जगें। इसके बाद स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें। संकल्प के बाद किसी चौकी या साफ जगह पर देवी रुक्मिणी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। पूजा के दौरान दक्षिणावर्ती शंख में जल भर कर अभिषेक करें।  पूजा में श्रीकृष्ण को पीला और देवी को लाल वस्त्र अर्पित करना शुभ होता है।

भगवान श्रीकृष्ण को कुमकुम का तिलक अर्पित करें। साथ ही देवी रुक्मिणी को लाल रंग के सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद इन्हें फूल, इंत्र और हल्दी अर्पित करें। भोग के लिए खीर बनाएं। खीर में तुलसी डालकर भगवान को भोग अर्पित करें। इसके बाद घी का दीया जलाएं और कर्पूर की आरती करें। शाम के वक्त फिर आरती करें और इसके बाद फलाहार करें. अगले दिन व्रत का पारण करें।

महिमा

‘रुक्मिणी अष्टमी व्रत’ रुक्मिणी देवी की पूजा से धन-दौलत में वृद्धि होती है। साथ ही, शादीशुदा जिंदगी में सुख-शांति बढ़ती है। इसके अलावा इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा, ‘रुक्मिणी अष्टमी’ के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ रुक्मिणी देवी की पूजा से जीवन में सभी सुख मिलते हैं।