धर्म-अध्यात्म

Published: Nov 12, 2021 05:08 PM IST

Devuthani Ekadashi 2021इस दिन है 'देवउठनी एकादशी', जानिए सही मुहूर्त और व्रत की विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: भगवान विष्णु की आराधना का पावन महीना कार्तिक धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। क्योंकि, इस महीने माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी भी आती है। पचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ कहा जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है।

मान्यताओं के मुताबिक, चार महीने बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं। इस तिथि से ही मांगलिक कार्यों प्रारंभ हो जाते हैं।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चातुर्मास का आरंभ इस वर्ष 20 जुलाई को ‘देवशयनी एकादशी’ के दिन हुआ था। जिसका समापन 14 नवंबर को देवउठानी एकादशी के दिन होगा।

एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 05:48 बजे से शुरू हो कर 15 नवंबर को सुबह 06:39 बजे समाप्त होगी।

एकादशी तिथि का सूर्योदय 14 नवंबर को होने के कारण ‘देवात्थान एकादशी’ का व्रत और पूजन इसी दिन होगा।

देवउठनी एकादशी में क्या खाएं और क्या नहीं

भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत में केला, आम, अंगूर आदि के साथ सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा सभी प्रकार फल, चीनी, कुट्टू, आलू, साबूदाना, शकरकंद, जैतून, नारियल, दूध, बादाम, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि का सेवन किया जा सकता है।

देव स्थान ऐसे रखे जाते हैं

‘देवउठनी एकादशी’ के दिन घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए। इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाने चाहिए।