धर्म-अध्यात्म

Published: Nov 29, 2021 06:37 PM IST

Utpanna Ekadashi 2021इस दिन है 'उत्पन्ना एकादशी', व्रत के नियमों का ज़रूर रखें ध्यान, ये हैं सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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-सीमा कुमारी

भगवान विष्णु को समर्पित ‘एकादशी व्रत’ हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हर महीने में पड़ने वाली एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। इस एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष माह यानि, अगहन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘उत्पन्ना एकादशी’ कहते हैं। इस साल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) 30 नवंबर, यानि अगले मंगलवार के दिन है।

मान्‍यताओं के मुताबिक, इसी दिन एकादशी माता का जन्‍म हुआ था, इसलिए इसे ‘उत्‍पन्ना एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। देवी एकादशी को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की ही एक शक्ति माना जाता है। कहते हैं कि, इस दिन मां एकादशी ने उत्‍पन्न होकर अति बलशाली और अत्‍याचारी राक्षस मुर का वध किया था।

मान्‍यता के अनुसार, इस दिन स्‍वयं भगवान विष्‍णु (Lord Vishnu) ने माता एकादशी को आशीर्वाद देते हुए इस व्रत को पूज्‍यनीय बताया था। माना जाता है कि इस एकादशी (Ekadashi) के व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश हो जाता है। आइए जानें ‘उत्पन्ना एकादशी’ के व्रत, नियम, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि –

शुभ-मुहर्त (Shubh Muhurat)

उत्पन्ना एकादशी तिथि

30 नवंबर 2021, मंगलवार प्रातः 04 बजकर 13 मिनट से शुरू 

उत्पन्ना एकादशी समापन

01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02 बजकर 13 मिनट तक 

पारण तिथि हरि वासर समाप्ति का समय: 01 दिसंबर 2021, सुबह 07 बजकर 37 मिनट  

पूजा विधि (Utpanna Ekadashi Puja Vidhi)

उत्पन्ना एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें।

स्नान कर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद एक चौकी लें। उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

फिर गंगाजल की छींटों से स्थान पवित्र करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

अब धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं।

फिर विष्णु चालीसा, विष्णु स्तुति और विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।

संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें।

अब विष्णु जी की आरती कर पूजा संपन्न करें।

इसके बाद उन्हें मौसमी फलों या मिठाई का भोग लगाएं।

‘उत्‍पन्ना एकादशी’ का महत्‍व (Utpanna Ekadashi ka mahatva)

हिन्‍दू धर्म  में ‘उत्‍पन्ना एकादशी’ का विशेष महत्‍व है। मान्‍यता है कि, इस व्रत को करने से मनुष्‍य के सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं। यही नहीं, जो लोग एकादशी का व्रत करने के इच्‍छुक हैं, उन्‍हें ‘उत्‍पन्ना एकादशी’ से ही व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।

साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं और हर महीने दो एकदाशी आती हैं। कहा जाता है कि उत्‍पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु ने मुरसुरा नाम के असुर का वध किया था। श्री हरि विष्‍णु की जीत की खुशी में भी इस एकादशी को मनाया जाता है। इस एकादशी में भगवान विष्‍णु और माता एकादशी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है।