धर्म-अध्यात्म

Published: Oct 25, 2021 06:09 PM IST

Ahoi Ashtami 2021इस महीने है 'अहोई अष्टमी', जानें इसकी महिमा और पूजा-विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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-सीमा कुमारी

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में मनाई जानी वाली ‘अहोई अष्टमी’ (Ahoi Ashtami) इस साल  28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन है। संतान (Children) की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की मंशा से किया जाने वाला ‘अहोई अष्टमी’ सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत (Fast) करवा चौथ के ठीक तीन दिन बाद मनाया जाता है।

इस दिन विधि-विधान के साथ माता अहोई की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। अहोई अष्टमी व्रत के साथ ही इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। इतना ही नहीं, संतान प्राप्ति के लिए इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। कहते हैं कि जिन महिलाओं की संतान दीर्घायु न हो रही हो या फिर गर्भ में ही मृत्यु हो रही हो, उन महिलाओं के लिए भी ‘अहोई अष्टमी’ का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है।

रात को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। वहीं, कई जगह महिलाएं इस दिन भी चांद देखकर व्रत खोलती हैं। आइए जानें ,’अहोई अष्टमी’ की पूजा का  शुभ मुहूर्त और पूजा विधि –

शुभ-मुहूर्त (Ahoi Ashtami Shubh Muhurat)

इस साल ‘अष्टमी तिथि’ 28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी, जो कि 29 अक्टूबर को शुक्रवार के दिन दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक बनी रहेगी। ‘अहोई अष्टमी’ पूजा का शुभ-मुहूर्त 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक का रहेगा।

पूजा-विधि (Ahoi Puja Vidhi)

‘अहोई अष्टमी’ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर अहोई अष्टमी व्रत रखने का संकल्प लें। दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनायें। साथ ही सेह और उनके सात पुत्रों का चित्र भी बनायें। आप चाहें तो उनका रेडिमेड चित्र या प्रतिमा भी लगा सकते हैं। फिर चौक लगाएं और अब इस पर जल से भरा हुआ कलश रखें। इसके बाद रोली, चावल और दूध से मां का पूजन करें और अहोई माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं। कलश पर स्वास्तिक बनाकर हाथ में गेंहू के सात दाने लें। फिर ‘अहोई अष्टमी’ की कथा सुनें। इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।

अहोई अष्टमी का महत्व (Ahoi Ashtami Importance)

‘अहोई अष्टमी’ का व्रत करवा चौथ के व्रत तीन दिन बाद ही रखा जाता है। जैसे करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उसी प्रकार अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं। साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है।