धर्म-अध्यात्म
Published: Jan 14, 2022 06:27 PM ISTMakar Sankranti 2022मकर संक्रांति पर किसे दें दान, जानें कौन सा दान है सर्वश्रेष्ठ?
-सीमा कुमारी
‘मकर संक्रांति’ का पर्व गंगा स्नान, दान-पुण्य, जप और पूजा-पाठ के लिए विशेष महत्व रखता है। भारत के श्रेष्ठ विद्वान आचार्य चाणक्य के अनुसार, दान करने से व्यक्ति महान और श्रेष्ठ बनता है। दान करने से व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है। ईश्वर की कृपा ऐसे लोागों पर सदैव बनी रहती है।
‘मकर संक्रांति’ पर दान देने की परंपरा है। चाणक्य के अनुसार, सदैव पात्र व्यक्ति को ही देना चाहिए। तभी उस दान को उत्तम और सार्थक माना जाएगा। इसलिए दान करने वाले व्यक्ति को इस बात का हमेशा ध्यान रखना है। चाणक्य ने दान से जुड़ी कुछ बातें बताई हैं, जिन्हें हर व्यक्ति को जानना चाहिए।
चाणक्य नीति कहती है कि दान का अर्थ होता है- देने की क्रिया। दान के माध्यम से पात्र व्यक्ति की मदद करना होता है। सक्षम व्यक्ति को दान देते समय ध्यान रखना चाहिए कि जो दान वो दे रहा है, क्या वो पात्र व्यक्ति के हाथों में जा रहा है। दान जब पात्र व्यक्ति को प्राप्त होता है। तो इसका पुण्य कई गुणा प्राप्त होता है।
चाणक्य नीति कहती है कि दान हमेशा उस व्यक्ति को देना चाहिए जो दान की अहमियत समझता हो। जो व्यक्ति दान के महत्व को नहीं जानता है उसे दान देने से बचना चाहिए। जैसे- भूखे व्यक्ति के लिए भोजन का दान महत्व रखता है। जिस व्यक्ति का पेट भरा हुआ है, उसके लिए भोजन का महत्व नहीं है। इसलिए दान देने के लिए सदैव उपयुक्त व्यक्ति का चयन करना चाहिए।
शास्त्रों में विद्या-दान, भू- दान, अन्नदान, कन्यादान और गोदान को सर्वोत्तम दान की श्रेणी में रखा गया है। चाणक्य के अनुसार विद्या दान एक ऐसा दान है जो कभी नष्ट नहीं होता है। इसमें निरंतर वृद्धि होती रहती है। ज्ञान सभी प्रकार के अंधकार को दूर करने में सक्षम है। ज्ञान जीवन के हर मोड पर काम आता है। ज्ञान कष्टों को दूर करने में भी सहायक है।