धर्म-अध्यात्म

Published: Mar 22, 2023 09:58 AM IST

Chaitra Navratri 2023आज 'चैत्र नवरात्रि' के प्रथम दिन मां दुर्गा के इस स्वरूप की होगी पूजा, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और मां शैलपुत्री की पूजा विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: आज यानी 22 मार्च 2023, बुधवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। जो 30 मार्च तक चलेगी। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रमुख नौ स्वरूपों की उपासना का विधान है। आज 22 मार्च को नवरात्र का पहला दिन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने और मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानें कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजा-विधि और वैदिक मंत्र।

कलश स्थापना मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 14 मिनट से सुबह 7 बजकर 55 मिट तक रहेगा। पूजा की अवधि 1 घंटे 41 मिनट रहेगी। इस दौरान विधि-विधान से माता शैलपुत्री की पूजा की जानी चाहिए और वैदिक मंत्रों का उच्चारण अवश्य होना चाहिए। बता दें कि चैत्र नवरात्रि के दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन ब्रह्म योग सुबह 7 बजकर 48 मिनट से 23 मार्च सुबह 4 बजकर 40 तक रहेगा।

पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी मानी जाती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि साधक शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें और उसके बाद मां दुर्गा की उपासना करें। ऐसा करने के बाद माता शैलपुत्री की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा करें। पूजा के समय माता शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि माता शैलपुत्री की पूजा के समय साधक गुलाबी, लाल, रानी या नारंगी रंग का वस्त्र ही धारण करें।

माता शैलपुत्री मंत्र  

बीज मंत्र- ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।।

प्रार्थना- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

स्तुति- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां शालिपुत्री स्तोत्र

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।

त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।

मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।

शास्त्रों के अनुसार नवरात्र में प्रत्येक नौ दिनों के दौरान देवी मां को कुछ न कुछ भेंट करने का विधान है। नवरात्र के पहले दिन देवी को शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए। त्रिफला में आंवला, हर्रड़ और बहेड़ा डाला जाता है। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।