धर्म-अध्यात्म

Published: Mar 09, 2021 04:37 PM IST

Mahashivratri 2021क्या है शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में अंतर, जानें कारण और पौराणिक कथा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

शिवरात्रि (Shivratri) का पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस पर्व को विश्व में और खासकर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की विधि-विधान से पूजा-आराधना की जाती है। शिवजी के प्रतीक शिवलिंग (Shivalinga) का गंगा जल, दूध, पंचामृत आदि से अभिषेक किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है।

शिवरात्रि विशेषतः भगवान शिव के लिंग रूप में अवतरण को स्मरण कर मनाई जाती है। एक कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं। इस वर्ष यह त्यौहार 11 मार्च को है। खैर, आज हम जानेंगे कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में क्या अंतर होता है। 

क्या होता है ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में अंतर

भगवान शिव से जुड़ी किसी भी बात की अगर पुष्टि करनी हो तो हमें उसका प्रमाणसह उल्लेख शिवपुराण में मिलता है। वहीं, शिवपुराण में ज्योतिर्लिंग से संबंधित एक कथा का वर्णन है। कहा जाता है कि, एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन है। इस बात का कोई हल नहीं निकल रहा था और दोनों ही अपनी बात पर डटे थे। दोनों में से श्रेष्ठ कौन है यह साबित करने को वहां कोई तीसरा मौजूद नहीं था। 

ऐसी स्थिति में दोनों का भ्रम दूर करने के लिए भगवान शिव एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। ज्योतिर्लिंग से निकली एक आवाज ने दोनों से उसका अंत जानने को कहा। विष्णु जी वराह का रूप धारण कर नीचे धरती की ओर उस लिंग का छोर ढूंढने चल दिए वहीं ब्रह्मा जी एक कीट का रूप धर ऊपर की ओर उस दिव्य ज्योति का उद्गम ढूंढने निकले, किंतु न विष्णु ना ही ब्रह्मा जी, किसी को इसका अंत नहीं मिला। 

अतः यह तय हुआ कि ब्रह्मा जी विष्णु जी से भी श्रेष्ठ यह दिव्य ज्योति है और इसी को ज्योतिर्लिंग कहा गया। यहां ज्योतिर्लिंग से आशय भगवान शिव के ज्योति के रूप में प्रकट होने से है। 

जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित अथवा स्वयंभू दोनों ही हो सकते हैं। लिंग का अर्थ होता है प्रतीक, अर्थात भगवान शिव के ज्योति रूप में प्रकट होने और संसार के निर्माण का प्रतीक। दोनों में एक सरल अंतर यह है कि ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं और शिवलिंग अक्सर मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं।  

देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त प्रकार के पाप मिट जाते हैं।

आइए जानें उनके नाम:-