धर्म-अध्यात्म

Published: May 09, 2021 08:00 AM IST

धर्म-अध्यात्मकब है 'मासिक शिवरात्रि', बन रहा है शुभ योग, जानें पूजा विधि

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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-सीमा कुमारी

सनातन हिंदू धर्म में ‘मासिक शिवरात्रि’ का विशेष महत्व होता है।पंचांग के अनुसार, मासिक शिवरात्रि प्रत्येक  महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। वैशाख महीने में पड़ने वाले मासिक शिवरात्रि 09 मई, रविवार को है।शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवों के देव भगवान शिव की कृपा दृष्टि पाने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत जातकों को जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। साथ ही संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। भगवान शिव की पूजा के दौरान बेलपत्र, जल और दूध अर्पित करना शुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। मई महीने में पड़ने वाली ‘मासिक शिवरात्रि’ के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं।

‘मासिक शिवरात्रि’ के दिन प्रीति व आयुष्मान योग में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में आयुष्मान व प्रीति योग को शुभ योगों में गिना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में किये गए कार्यों में सफलता जरूर मिलती है।आइए जानें मासिक शिवरात्रि,का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: 

शुभ मुहूर्त:

चतुर्दशी आरंभ- 09 मई दिन रविवार को शाम 07 बजकर 30 मिनट से

चतुर्दशी समाप्त- 10 मई दिन सोमवार को रात 09 बजकर 55 मिनट पर

शुभ योग: 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख मासिक शिवरात्रि के दिन दो योग बन रहे हैं। इस दिन प्रीति व आयुष्मान योग बन रहे हैं। ये दोनों ही योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इन योग में किए गया कोई भी कार्य सफल होता है।

पूजन विधि:

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें। पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। भगवान शिव को प्रणाम करें और धूप दीप जलाएं इसके बाद व्रत का संकल्प करें।

इस बात का जरूर ध्यान रखें कि शिव जी की पूजा में तुलसी का का प्रयोग बिल्कुल न करें। पूजा होने के बाद उसी आसन पर बैठकर शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।

इसके बाद, शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती (व्रत करने वाला श्रद्धालु) को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें।