धर्म-अध्यात्म

Published: Oct 05, 2021 05:04 PM IST

Sarvapitri Amavasya 2021कब है 'सर्वपितृ अमावस्या'? जानें इस दिन श्राद्ध का महत्व

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

हर साल अश्विन महीने में पड़ने वाली अमावस्या को ‘सर्वपितृ अमावस्या’ या ‘मोक्षदायिनी अमावस्या’ कहते हैं। इस साल ‘सर्वपितृ अमावस्या’ 6 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है। पितर पक्ष का समापन अश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है।

मान्यता है कि इस दिन पितरों के श्राद्ध का अंतिम दिन होता है। ‘सर्वपितृ अमावस्या’ के दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। जिन्हें अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि को ज्ञान न हो वो भी इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण या श्राद्ध कर सकते हैं। आइए जानते हैं ‘सर्वपितृ अमावस्या’ की सही तिथि और इस दिन के श्राद्ध का महत्व-

शुभ मुहर्त-

अमावस्या तिथि शुरू- 05 अक्तूबर 2021 को शाम 07 बजकर 04 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त- 06 अक्तूबर 2021 को शाम 04 बजकर 34 मिनट पर 

‘सर्वपितृ अमावस्या’ पर पितरों को विदा करने की विधि-

इस दिन प्रातः उठकर बिना साबुन के स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।

अब श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।

बनाए गए पकवान में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर एक थाली में लगाएं।

अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल को दोनो में भोजन को जल के साथ रखें।

अब पितरों से उसे ग्रहण करने की प्रार्थना करें और गलतियों की क्षमा मांगें।

अपने घर की देहरी पर उपले की अंगार पर घी, चीनी और चावल के कुछ दाने डालकर अग्नि प्रज्वलित कर अग्यारी करें।  

शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर चौखट पर रखें।

अब पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने और अपने लोक लौटने का आग्रह करें।

-महत्व

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, हमारे मृत पूर्वज और परिजन पितरों के रूप में पितर पक्ष में धरती पर आते हैं। इस काल में उनके निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। पितर पक्ष की प्रत्येक तिथि पर विधि अनुरूप श्राद्ध किया जाता है। लेकिन ‘सर्वपितृ अमावस्या’ पर श्राद्ध का विशेष महत्व है। 

इस दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के निमित्त श्राद्घ करने का विधान है। जो लोग पितर पक्ष में अपने परिजन की तिथि पर श्राद्ध करना भूल गए हो वो भी अमावस्या तिथि पर पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सही विधि से किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और वो अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।