धर्म-अध्यात्म
Published: May 28, 2022 04:39 PM ISTVat Savitri Vrat 2022पहली बार 'वट सावित्री व्रत' रखने वाली महिलाएं इन बातों का रखें ख्याल
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: अखंड सौभाग्य एवं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना का प्रतीक ‘वट सावित्री’ (Vat Savitri Vrat) 30 मई, सोमवार को है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन काफी शुभ संयोग बन रहा है। क्योंकि इस साल अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है जिसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, इस शनि जयंती भी पड़ रही है। आइए जानें वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के नियमों के बारे में –
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस दिन सबसे पहले स्नान के बाद सुहागन महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनें और श्रृंगार आदि कर लें।
अब एक बांस वाली टोकरी में सप्तधान्य भर लें और उसमें बह्मा जी की मूर्ति स्थापित कर दें। दूसरी टोकरी में भी सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित कर लें। इस टोकरी को पहली टोकरी के बाएं रखें।
इसके बाद पूजा घर और वट वृक्ष के नीचे पूजा स्थान की साफ सफाई करें। फिर उसे गंगाजल छिड़कर पवित्र कर लें।
पूजा के समय वट वृक्ष की जड़ को जल अर्पित करते हैं और उसकी चारों ओर 7 बार कच्चा धागा लपेटते हैं। इसके पश्चात वट वृक्ष की भी परिक्रमा करते हैं।
अब इन दोनों ही टोकरी वट वृक्ष के नीचे ले जाकर स्थापित कर दें। पेड़ में चावल के आटे का छाप या पीठा लगाया जाता है। फल, अनाज, कपड़ा आदि एक टोकरी में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर दें।