धर्म-अध्यात्म
Published: Mar 24, 2023 05:22 PM ISTChaitra Navratri 2023 नवरात्रि के चौथे दिन है 'मां कुष्मांडा' की पूजा, जानिए मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा विधि
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: 25 मार्च ‘चैत्र नवरात्रि’ 2023 का चौथा दिन है। मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) को समर्पित है। यह मां दुर्गा के उस रूप का प्रतीक है, जो सभी का सुखों का प्रमुख स्रोत है। कुष्मांडा माता के नाम यानी कु का अर्थ है ‘कुछ’, ऊष्मा का अर्थ है ‘ताप’ और ‘अंडा’ का अर्थ है- ब्रह्मांड या सृष्टि। यही कारण है कि देवी को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है।
इन्हें सूर्य के समान ही तेज माना जाता है। इस दिन मां के इस रूप की विशेष पूजा का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि देवी के हाथ में जो अमृत-कलश होता है उससे वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।
कहते हैं कुष्मांडा मां के हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृत-कलश, गदा व चक्र आदि होते है। इसके साथ ही मां जपमाला रखती हैं और सिंह की सवारी करती है। जो धर्म का प्रतीक है। पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप किया जाए तो वह बहुत प्रसन्न होती है और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। मां के स्वरूप की व्याख्या इस प्रकार से की गई है मां की अष्ट भुजाएं हैं जो जीवन में कर्म करने का संदेश देती हैं। उनकी मुस्कान हमें यह बताती है कि हमें हर परिस्थिति का हंसकर ही सामना करना चाहिए। आइए जानें मां कुष्मांडा की पूजा विधि और मंत्र जाप के बारे में।
पूजा विधि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद मां कुष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।
इसके अतिरिक्त मां कुष्मांडा को भोग में मालपुआ भी चढ़ाए जा सकते है। कहते हैं इस भोग से मां कुष्मांडा अत्यधिक प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती है। पूजा के अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें। इसी भोग को प्रसाद के रूप में भी सेवन किया जा सकता है।