धर्म-अध्यात्म

Published: Feb 12, 2021 05:34 PM IST

बसंत पंचमी 2021पीले रंग का प्रतीक है बसंत पंचमी का महापर्व, जाने कैसे?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-सीमा कुमारी

हिन्दू मान्यता के अनुसार, बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्यौहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है जो इस साल 16 फरवरी, यानी दिन मंगलवार को है। मान्यता अनुसार, इस दिन मां सरस्वती (Goddess Saraswati) का जन्म हुआ था। इसके अलावा इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है। कहा जाता है कि इस पावन दिन पर सबसे पहले पीतांबर धारण करके भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती (Goddess Saraswati) का पूजन को किया था। तब से बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है और देवी सरस्वती की आराधना बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी जैसे अनेक नामों से होती है।

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन और शुभता के कारक माने जाते हैं। गुरु ग्रह के प्रभाव से धन बढ़ता है, सुख, समृद्धि प्राप्त होती है, पीले रंग का प्रयोग करने से गुरु ग्रह का प्रभाव बढ़ता है और जीवन में धन, दौलत, मान-यश की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में पीला रंग बहुत शुभ माना जाता है, बसंत उत्सव मानने के लिए अपनी खुशी का इजहार करने के लिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसरयुक्त खीर बना कर मां सरस्वती (Goddess Saraswati), भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है। पीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजा, उपासना की जाती है आने वाला समय शुभ हो, उन्नति हो, जीवन में और सफलता मिले ऐसी प्रार्थना मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और श्रीहरि विष्णु जी से की जाती है।

वसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व-

पीला रंग का मतलब है कि फसलें पकने वाली हैं, इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर-उधर रंग-बिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं। इस पर्व को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) के नाम से भी जाना जाता है।