पर्यटन
Published: Oct 25, 2020 10:14 AM ISTदशहरा स्पेशल भारत के इन जगहों पर दशहरे के दिन नहीं होता रावण दहन, बल्कि की जाती है पूजा
कोरोना महामारी के कारण इस साल के सारे त्यौहार बहुत फीके अंदाज़ में मनाए गए हैं। वहीं नवरात्रि के खत्म होते ही हिंदुओ का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार दशहरा आ जाता है। इस साल यह त्यौहार आज यानि 25 अक्टूबर को है। भारत में दशहरे का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बहुत से जगहों पर दशहरे आने से पहले ही रामलीला शुरू हो जाती है।
दशहरे का त्यौहार बिना रावण दहन के अधूरा सा लगता है। लेकिन कोरोना के कारण भारत के कई जगहों पर इस साल रावण दहन नहीं किया जाएगा। मगर सिर्फ कोरोना के कारण ही नहीं बल्कि भारत के कुछ शहरों में रावण दहन कभी नहीं किया जाता। इन शहरों में रावण का मंदिर है जहां दशहरे के दिन रावण को पूजा जाता है। तो चलिए आज दशहरे के दिन हम आपको भारत के उन मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां रावण की पूजा-अर्चना की जाती है।
कर्नाटक-
दक्षिण भारत के कर्नाटक शहर में रावण की पूजा की जाती है। कर्नाटक में कोलार नमक एक जगह है, जहां हर साल रावण पर एक महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव का नाम लंकेश्वर महोत्सव होता है। यह एक फसल का उत्सव होता है। यहां के लोग इस दौरान रावण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था और उनकी उपसना करते थे। इस दिन रावण की प्रतिमा को रथ पर रख कर उसका जलूस निकालते हैं। साथ ही यहां पर रावण का एक बहुत बड़ा मंदिर भी है।
उत्तर प्रदेश-
उत्तरप्रदेश के कानपुर में भी रावण को पूजा जाता है। यहां पर रावण का मंदिर है। इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है। यह मंदिर कानपुर के शिवाला मार्केट में बने छिन्न्मस्तिका मंदिर के अंदर ही बना हुआ है। इसकी खासियत यह है कि यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है और पुरे साल बंद रहता है। यह मंदिर बस दशहरे के दिन खोला जाता है। इस दिन तेल और घी से रावण की पूजा होती है। यहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में पहले रावण की पूजा होती हैं और फिर उसके बाद रावण दहन किया जाता है। पूजा के दौरान रावण से माफी मांगी जाती है क्योंकि वह एक बहुत बड़ा ज्ञानी था।
राजस्थान-
मध्य प्रदेश-
हिमाचल प्रदेश-
भारत का सबसे खूबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश में भी रावण को देवता माना जाता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है। यहां के लोग रावण का पुतला जलने को महापाप मानते है। इस जगह पर रावण की पूरी श्रद्धा से पूजा की जाती है। मान्यता के अनिसार, यहां रावण ने कुछ साल बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। तब से आज तक यहां के लोग दशहरा का पर्व नहीं मनाते।