आज की खास खबर

Published: Sep 13, 2023 02:57 PM IST

आज की खास खबरकानून के सामने सभी बराबर संरक्षण हटा, अब फंसेंगे बड़े अफसर भी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

कानून के सामने सभी बराबर होने चाहिए तभी उसकी सार्थकता है. इसमें कोई अपवाद होना कदापि उचित नहीं है. प्राय: देखा गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कनिष्ठ कर्मचारियों व अधिकारियों को दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है जबकि बड़ी मछलियों पर जरा भी आंच नहीं आती. केंद्र सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी या उससे वरिष्ठ अधिकारियों को अबतक गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ था. सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर पुलिस इन अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की जांच भी नहीं कर सकती थी.

इस तरह के संरक्षण की वजह से भ्रष्टाचार पनपता रहता था और शीर्ष स्तर के अधिकारी मानते थे कि कानून का हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुंच सकता. इसलिए वे बेधड़क मनमानी करते थे. पुलिस और जांच एजेंसियां उनके खिलाफ कार्रवाई के मामले में बेबस बनी हुई थीं. आखिर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने संयुक्त सचिव स्तर और उससे ऊपर के सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट के मुद्दे पर अहम फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक 2014 के पहले के मामलों में भी बड़े अफसरों को संरक्षण नहीं मिलेगा. इस तरह की सख्ती से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.

यूपीए सरकार के अधिकारियों की भी खैर नहीं

यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 तक कोयला घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमन वेल्थ गेम्स घोटाला हुआ था. सुप्रीम कोर्ट का आदेश 2014 के पहले के लंबित मामलों पर भी लागू होगा और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे बड़े अफसरों को संरक्षण नहीं मिलेगा. पहले ये अधिकारी कानून की आड़ लेकर जांच पडताली और गिरफ्तारी से बच जाते थे. ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं होने से भ्रष्टाचारियों के हौसले और भी बढ जाते थे. वे मान बैठते थे कि उन्हें धांधली करने का लाइसेंस मिला हुआ है.

डा. किशोर का मामला

दिल्ली सरकार के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डा. आरआर किशोर जब कथित तौर पर विश्वत ले रहे थे तब सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था. किशोर ने अपनी गिरफ्तारी को इस आधार पर चुनौती दी थी कि गिरफ्तारी के लिए पहले नियोजित योजना बनाई गई थी जिस कारण उन्हें धारा 6 ए (2) के तहत छूट का लाभ नहीं मिल पाया था. 2016 में डा. किशोर का मामला 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास यह तय करने के लिए भेज दिया गया था कि क्या संयुक्त सचिव स्तर पर केंद्र सरकार के अधिकारियों को दिया गया संरक्षण हटाना पूर्वव्यापी रूप (रिट्रास्पेक्टिव एफेक्ट) से लागू होगा? संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई कर 2 नवंबर 2022 को अर्थात 10 महीने पहले अपना फैसला सुरक्षित रखा था.छूट कबसे चली आ रही थी

दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट एक्ट 1946 की धारा 6 ए में कहा गया है कि जब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत संयुक्त सचिव स्तर के अफसर द्वारा कोई अपराध किया जाता है तो केंद्र सरकार की पूर्व मंत्री के बगैर पुलिस मामलों की जांच नहीं कर सकती. इसी का फायदा वरिष्ठ अधिकारी उठा रहे थे. अब ऐसे किसी भी उच्च पदस्थ अफसर को गिरफ्तारी और जांच में छूट नहीं मिल पाएगी.