आज की खास खबर

Published: Sep 26, 2023 01:52 PM IST

आज की खास खबरस्वदेशी शस्त्रों से सेना का बढ़ा मनोबल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

– संजय श्रीवास्तव

रक्षा क्षेत्र में सरकार की स्वदेशी हथियारों की भारी खरीद के अलावा 85 देशों द्वारा भारत निर्मित आयुध खरीदने में रुचि दर्शाना, यह दिखाता है कि सरकार द्वारा रक्षा निर्माण के क्षेत्र में स्वदेशी को बढ़ावा देना बहुत कारगर रहा है. देश के रक्षा निर्माण और उत्पादन के क्षेत्र में यह उपलब्धि ऐतिहासिक रही कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इसका मूल्य एक लाख दस हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया. रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण और उत्पादन के प्रयास का रंग गहराने लगा है.

इससे उत्साहित होकर सरकार ने स्वदेशी सैन्य साजो-सामान की खरीद के लिए 45000 करोड़ रुपए के नौ रक्षा सौदों की अनुमति दे दी. भारतीय विक्रेताओं से की जाने वाली यह खरीद, भारतीय रक्षा उद्योग को अतिरिक्त प्रोत्साहन देगी. इससे जो आर्थिक लाभ मिलेगा उससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को पाने की दिशा में मदद मिलेगी. देश की 100 से ज्यादा कंपनियां अपने रक्षा उत्पादों को दुनियाभर में बेच रही हैं.

85 देशों को निर्यात

85 से अधिक देशों द्वारा भारतीय निर्मित हथियारों और सैन्य साजो-सामान की खरीदारी में अपनी रुचि दिखाना, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भारत का रक्षा उद्योग प्रौद्योगिकी के स्तर पर विश्वस्तरीय है. भारत स्वदेशी निर्मित हथियार मिस्र, अर्जेटीना, श्रीलंका, मालदीव, इजरायल, नेपाल, सऊदी अरब और पोलैंड जैसे कई देशों के साथ ही फ्रांस और रूस को भी बेच रहा है. मोदी सरकर के आने के बाद अब तक रक्षा निर्यात के क्षेत्र में 23 गुना की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो चुकी है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात 686 करोड़ था, यहां तक कि 2016-17 में भी देश का रक्षा निर्यात महज डेढ़ हजार करोड़ रुपए था और आज यह 16 हजार करोड़ से ऊपर है अर्थात सात साल में करीब 10 गुना की बढ़ोत्तरी.

भारतीय उद्योग ने रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियां डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता संसार के सामने प्रदर्शित करने में समर्थ हो रहीं हैं. लगभग आठ साल पहले तक बड़े आयातक के तौर पर पहचाना जाने वाला भारत आज संसार के 25 बड़े निर्यातक देशों में शामिल है. फिलहाल दुनिया में अपने बनाए 155 एमएम एडवांस्ड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, डोर्नियर-228, हल्के युद्धक विमान तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कॅरिअर की मांग बढ़ती जा रही है. इसके अलावा रडार, सिमुलेटर, बारूदी सुरंग रोधक वाहन, बख्तरबंद गाड़ियां, पिनाक रॉकेट और लॉन्चर के अलावा हमारे गोला बारूद, सामान्य सैन्य उपकरणों और दूसरे साजो-सामान की मांग भी चल निकली है.

35000 करोड़ का लक्ष्य 

जिस तरह के उन्नत हथियार बनाने की तैयारी चल रही है, जिस तरह की तकनीकी भारत ने विकसित की है और रक्षा निर्माण हो रहा है, उसे हर स्तर पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है, इसे देखते हुए साल 2025 के अंत तक 35 हजार करोड़ के सालाना रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करना अतिश्योक्ति नहीं लगता. संभव है कि दशक बीतते बीतते हम संसार के उन दर्जनभर देशों की सूची में हों जो दुनियाभर में हथियार बेचते हैं.

सेना की लंबे समय से शिकायत रही है कि बदलती जरूरतों के अनुसार उनके पास सैन्य साधन, हथियार नहीं हैं. जब देश में ही शोध विकास कर आवश्यकतानुसार हथियार बनेंगे, तो दो बाते होंगी- एक तो सेना की खास जरूरतों को ध्यान में रखकर हथियार बनेंगे, जो उसे लंबी खरीद प्रक्रिया में बिना उलझे जल्द मिल जायेंगे. यदि इनमें किसी प्रकार के बदलाव या वैल्यू एडीशन की आवश्यकता महसूस की गई, तो समय रहते तत्काल की जा सकेगी. किसी विदेशी तकनीक के आयात और अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. एक बात और कि हथियार हों या उपकरण अपेक्षाकृत पर्याप्त संख्या में मिलेंगे और इनकी आपूर्ति अबाध होगी.

वर्तमान युद्धों में वायु सेना की भूमिका बहुत अहम होती है. स्वदेशी विमान, ड्रोन उसे मजबूत कर रहे हैं. उन्नत स्वदेशी सामरिक संसाधनों से लैस नौसेना और वायु सेना के साथ थल सेना, सशस्त्र बलों की ताकत बढ़ रही है. निर्माण, निर्यात के चलते दूसरे देशों से रक्षा संबंधी खरीदारी पर होने वाला खर्च 46 प्रतिशत से घटकर अब 36 प्रतिशत हो गया है. राजस्व का लाभ अलग से मिला है. इस समय भी रक्षा बजट 3 लाख करोड़ रुपए से ऊपर है.

ऐसे में स्वदेशी तकनीक से बने हथियारों, उपकरणों को बढ़ावा और विदेशी हथियारों, उपकरणों की खरीद में कटौती के जरिए यह संतुलन अब सधता दिख रहा है. रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता खत्म करने, हथियार आयात में संतुलन और विविधता लाने में हम इसी के भरोसे सफल होते जा रहे हैं. चीन और पाकिस्तान से लगातार दिये जा रहे तनावों के जवाब में पिछले कुछ वर्षों से देश ने अपने को सैन्य उपकरणों, साजो-सामान के मामले में अपने को बहुत समृद्ध किया है.