सड़कों से संसद तक पहुंची नफरत बिधूड़ी की शर्मनाक आचरण, कार्रवाई हो

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– शाहिद ए. चौधरी

नई संसद की शुरुआत के पहले दिन प्रधानमंत्री ने कहा था कि भवन बदला है तो भाव बदलना चाहिए और उन्होंने सांसदों के व्यवहार को लेकर आश्वासन भी दिया था. लेकिन 3 दिन के भीतर ही मोदी की पहल को रमेश बिधूड़ी ने धूमिल कर दिया. हालांकि संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी अदालत में जवाबदेह नहीं होता है, लेकिन लोकसभा में प्रोसिजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के नियम 380 के तहत स्पीकर को कार्यवाही करने का अधिकार है, जो उन्हें तुरंत करनी चाहिए ताकि फिर ऐसी शर्मनाक हरकत देखने को न मिले.

नये संसद भवन के पहले विशेष सत्र में दक्षिण दिल्ली से बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने अमरोहा से बसपा सांसद दानिश अली के विरुद्ध जिस अपमानजनक व आपत्तिजनक भाषा बल्कि गालियों का प्रयोग किया वह वास्तव में हेट स्पीच के दायरे में आती है. बिधूड़ी की इस अशोभनीय हरकत से संसद की गरिमा को तो ठेस पहुंची ही है, पूरा देश भी शर्मसार हुआ है.

लेकिन इससे भी अधिक निंदनीय यह है कि जिस समय रमेश बिधूड़ी हाउस के फ्लोर पर अपशब्दों का प्रयोग कर रहे थे, तो उन्हें चुप कराने की बजाय बीजेपी के दो वरिष्ठ सांसद व पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद व डा. हर्षवर्धन न सिर्फ हंस रहे थे बल्कि डेस्क थपथपा कर उन्हें प्रोत्साहित कर रहे थे. भारत के संसदीय इतिहास में रमेश बिधूड़ी की यह शर्मनाक हरकत अप्रत्याशित है. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को उनके विरुद्ध त्वरित अनुशासनात्मक कार्यवाही करनी चाहिए थी ताकि भविष्य में कोई सदस्य इस प्रकार का दुस्साहस दोहराने के बारे में सोचे भी नहीं.

विशेषाधिकार समिति को भेजने की मांग

कांग्रेस, एनसीपी, तृणमूल और द्रमुक के नेताओं ने लोकसभा स्पीकर को अलग-अलग पत्र लिखकर इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का आग्रह किया है. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, द्रमुक की कनीमोझी और तृणमूल के अपरूपा पोद्दार ने अपने-अपने पत्रों में रमेश बिधूड़ी के विरुद्ध नियमानुसार सख्त कार्यवाही करने की मांग करते हुए कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे विशेषाधिकार समिति को सौंपना चाहिए.

दूसरी ओर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी के खिलाफ अभी तक उचित कार्यवाही नहीं की है. बीजेपी ने कहा है कि पार्टी नेतृत्व ने रमेश बिधूड़ी को चेताया है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसका उन्हें 10 दिन के भीतर जवाब देना है. साथ ही बीजेपी ने विपक्षी पार्टियों से पूछा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 90 से अधिक बार अपशब्दों का प्रयोग करने के लिए अपने नेताओं के विरुद्ध क्या कार्यवाही की है? 

मायावती बीजेपी से ‘उचित कार्यवाही’ की मांग क्यों कर रही हैं? जबकि यह मामला संसद के भीतर का है और मांग लोकसभा स्पीकर व केंद्र सरकार से होनी चाहिए. स्पीकर को स्वयं ही अविलम्ब कार्यवाही कर देनी चाहिए थी. दानिश अली ने कहा है कि अगर रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई तो वह लोकसभा की सदस्यता छोड़ने पर विचार करेंगे; क्योंकि जनता ने उन्हें ‘हेट स्पीच’ सुनने के लिए नहीं चुना है. दानिश अली के अनुसार, ‘मैंने स्पीकर को लिखा है और मुझे उम्मीद है कि एक्शन लिया जायेगा. यह हेट स्पीच से कम नहीं है. पहले संसद के बाहर हेट स्पीच दी जा रही थीं, लेकिन अब बीजेपी का सांसद हाउस के फ्लोर पर हेट स्पीच दे रहा है. मैं रातभर सो नहीं पाया. दिमाग की नस फटने को तैयार है. मैं इंतजार कर रहा हूं. मैं करूं तो करूं क्या? जब मेरे जैसे चुने हुए व्यक्ति की स्थिति देश में आज यह है तो एक आम इंसान की स्थिति क्या होगी?’

दानिश अली ने कुछ बुनियादी व उचित प्रश्न उठाये हैं. चुनावी राजनीति ने हमारे समाज में नफरत का जहर घोल दिया है और इस आग में घी डालने का काम कुछ टीआरपी लोभी इलेक्ट्रॉनिक चैनल कर रहे हैं. जनता के मुद्दे तो उठाते नहीं हैं, बस दिन रात हिन्दू-मुस्लिम डिबेट करनी हैं और आपराधिक घटनाओं में भी सांप्रदायिक एंगल तलाश करना है.

विपक्ष ने हंगामा किया तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘अगर सांसद की टिप्पणी से विपक्ष आहत हुआ है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं’. क्या सांसद की टिप्पणी से केवल विपक्ष ही आहत हुआ? नहीं. लोकतंत्र के मंदिर में रमेश बिधूड़ी के आपत्तिजनक बयान ने देश को शर्मसार किया है.