आज की खास खबर

Published: Sep 08, 2023 02:54 PM IST

आज की खास खबर एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग तैयार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

चुनाव आयोग ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के लिए कानूनी प्रावधानों के तहत समूचे देश में एक साथ निर्वाचन करने के लिहाज से तैयारी दर्शाई है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीवकुमार ने कहा कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत समय पर चुनाव कराने की दिशा में आयोग तत्पर रहता है. एक साथ लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायत चुनावों को कराने के लिए यद्यपि चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी दर्शाई है लेकिन यह काम अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा.

1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुआ करते थे लेकिन उस समय और आज की परिस्थितियों में बहुत बड़ा अंतर है. तबसे मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है. उस वक्त मतदाता की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित थी जो अब 18 वर्ष हो जाने से युवा वोटरों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है. मतपेटियों में होनेवाली कागजी मतदान का स्थान विगत दशकों में ईवीएम मशीनों ने ले लिया है. वीवी पैट से सुनिश्चित हो जाता है कि मतदान सही तरीके से हो गया.

तकनीकी सुगमता के बावजूद भारत जैसे विशाल देश में जहां ग्रामीण और दुर्गम इलाके हैं, एक साथ सारे चुनाव कराना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. चुनाव आयोग ने तो अपनी तैयारी दर्शा दी लेकिन फैसला सरकार को करना है. इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय कमेटी बनी है जिसमें विधिवेत्ता, संविधान विशेषज्ञ, अनुभवी प्रशासक का समावेश है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया और इसे धोखा बताया. समिति में चौधरी के स्थान पर कोई अन्य विपक्षी नेता शामिल किया जा सकता है.

राजी नहीं होगा विपक्ष

एक साथ लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्यों की सहमति भी लेनी होगी. जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में 1 या 2 वर्ष बाकी है वह चुनाव के लिए तैयार नहीं होंगे. विपक्ष शासित राज्यों की सरकारें भी इस उपक्रम में सहयोग नहीं करेंगी. समिति की सिफारिशों और विपक्ष के रवैये पर काफी कुछ निर्भर रहेगा. विपक्ष ऐसे समय पर चुनाव चाहेगा जब वह खुद को अनुकूल स्थिति में महसूस करेगा. एक साथ चुनाव कराना सत्तापक्ष के लिए हितकारी हो सकता है लेकिन जिन विपक्षी पार्टियों के साधन सीमित हैं व एक साथ त्रिस्तरीय चुनाव लड़ पाने में असमर्थ रहेंगी या मुकाबले में कमजोर साबित होगी.

समय, ऊर्जा खर्च बचेगा

केंद्र सरकार मानती है कि एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव कराने से समय, ऊर्जा और खर्च बचेगा तथा करदाताओं का पैसा राष्ट्र निर्माण के कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा. अभी हर 6 माह में कहीं न कहीं चुनाव की बारी आ जाती है. सरकार को ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का फार्मूला 2 या 3 चरणों में लागू करना होगा. जिन राज्यों में हाल ही में चुनाव हुआ है उन्हें छोड़कर अन्य राज्यों को इसके लिए राजी किया जा सकता है.

इस प्रस्ताव में पेंच यह भी है कि यदि कोई सरकार कार्यकाल पूरा न करते हुए बीच में अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल की वजह से गिर जाती है तो क्या होगा क्या ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का फार्मूला सरकारों को निर्विघ्न 5 वर्ष का कार्यकाल दे पाएगा. मिलीजुली सरकारों के सामने दिक्कते आती रहती है. अटलबिहारी वाजपेयी पहले 13 दिन फिर 13 महीने चली थी और फिर 1999 में चुनाव के बाद 5 वर्ष चल पाई थी.