आज की खास खबर

Published: Mar 05, 2022 03:30 PM IST

आज की खास खबरशायद पहली बार सत्तापक्ष के हंगामे की वजह से राज्यपाल ने किया वाकआउट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण के समय हंगामा होना कोई नई बात नहीं है लेकिन फिर भी महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो हुआ, वह अभूतपूर्व और आश्चर्यजनक है. शायद पहली बार सत्तापक्ष के हंगामे से नाराज होकर राज्यपाल ने अपना अभिभाषण अधूरा छोड़कर वाकआउट कर दिया. उन्होंने केवल 2 मिनट अभिभाषण पढ़ा और अपना संवैधानिक कर्तव्य पूरा न करते हुए सदन छोड़कर चले गए.

आम तौर पर ऐसा होता है कि अभिभाषण के समय हंगामा हुआ भी तो कुछ देर बाद शांत हो जाता है लेकिन वातावरण शांत होने की प्रतीक्षा न करते हुए कोश्यारी ने बहिर्गमन कर दिया. इसके पहले भी राज्यपाल के अभिभाषण में नारेबाजी व हंगामा हुआ था लेकिन वे इस तरह भाषण अधूरा छोड़कर नहीं गए थे. राज्यपाल के निकलते ही विधानसभा के उपाध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति भी बाहर निकल गए. किसके हंगामे की वजह से राज्यपाल ने ऐसा किया, इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि राज्यपाल का अभिभाषण निर्विघ्न हो, इसकी जिम्मेदारी सरकार की थी. वैसे राज्यपाल को बताना चाहिए कि वे किस कारण अभिभाषण अधूरा छोड़कर चले गए.

संघर्ष और तीव्र होगा

महाराष्ट्र में ‘राज्यपाल विरुद्ध राज्य सरकार’ का माहौल लंबे समय से चल रहा है. यह संघर्ष कम होने की बजाय तीव्र होता जा रहा है. राज्यपाल ने जैसा रुख दिखाया, उससे यही लगता है कि वे केंद्र से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं. महाविकास आघाड़ी सरकार से राज्यपाल के संबंध लगातार तनावपूर्ण रहे. विधान परिषद में 12 विधायकों के नामांकन की फाइल लगभग डेढ़ वर्ष से राज्यपाल ने रोक रखी है. अभिनेत्री कंगना रानौत से राजभवन में लंबी चर्चा भी विवाद का विषय रही थी.

हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज और रामदास स्वामी को लेकर राज्यपाल का बयान बेहद आपत्तिजनक माना गया था. उनका यह कहना कि रामदास न होते तो शिवाजी को कौन पूछता, जनमानस को उद्वेलित कर गया क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र में देवतुल्य माना जाता है और उनके प्रति असीम श्रद्धा है.

सत्र का क्या हाल होगा

बीजेपी ने यह फिकरा कसते हुए कि महाविकास आघाड़ी सरकार दाऊद समर्पित है, घोषणा की थी कि नवाब मलिक का मंत्री पद से इस्तीफा हुए बिना विधानमंडल का कामकाज नहीं चलने देंगे. ऐसी हालत में अधिवेशन का क्या होगा? बजट सत्र में अनेक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने वाले हैं. इसमें सरकार को घेरने का अवसर विपक्ष को बार-बार मिल सकता है, फिर सत्र नहीं चलने देने की बात क्यों की जा रही है? अभिभाषण के समय राज्यपाल का निषेध करते हुए आघाड़ी सदस्यों ने नारे लगाए, यह भी मर्यादा के खिलाफ था. राज्यपाल के प्रति विरोध जताने के लिए विधानमंडल और अभिभाषण का मुहूर्त क्यों चुनना चाहिए? इसका कोई औचित्य नहीं है.

कुछ अन्य राज्यों में भी यही हाल

राज्यपाल राज्य के पालक व संवैधानिक प्रमुख होते हैं. हंगामे और शोरगुल को कुछ देर बर्दाश्त कर वे स्थिति को संभाल सकते थे लेकिन उन्हें राज्य सरकार से विवाद बढ़ाने में दिलचस्पी है. पिछले 2 वर्षों से यही होता आ रहा है. इसके एक दिन पूर्व गुजरात में भी राज्यपाल देवव्रत आचार्य ने अभिभाषण अधूरा छोड़कर सदन से वाकआउट किया था. उधर तेलंगाना में आगामी सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने राज्यपाल का अभिभाषण रखा ही नहीं.

केरल में भी गत सप्ताह राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के अभिभाषण का मुद्दा विवाद में घिर गया था. राज्यपाल वाम मोर्चा सरकार के तैयार अभिभाषण को देने से इनकार कर रहे थे. वैसे राज्यपाल का अभिभाषण अधूरा भी रहा तो पूरा दिया हुआ मान लिया जाता है और उसकी प्रति पटल पर रखकर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया जाता है. राज्यपाल के लिए पूरा अभिभाषण पढ़ना बंधनकारक नहीं है.