आज की खास खबर

Published: Feb 24, 2024 11:02 AM IST

आज की खास खबर'तुतारी' चुनाव चिन्ह मिलने से शरद पवार मजबूत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

कुछ बढ़िया चीजें भाग्य से मिल जाती हैं।  चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (Sharad Pawar) को ‘तुतारी’ (Tutari) चुनाव चिन्ह आवंटित किया है।  महाराष्ट्र की परंपरा और संस्कृति के लिहाज से यह बहुत मजबूत और महत्वपूर्ण चुनाव चिन्ह है जिसकी मराठी मन पर छाप अंकित है।  महाराष्ट्र में हर शुभ कार्य का प्रारंभ तुतारी (तुरही) वादन से होता है।  धार्मिक के अलावा लोकसंस्कृति या जनहित से जुड़े आयोजनों में भी तुरही बजाकर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया जाता है। 

कहना होगा कि यह शुभ चुनाव चिन्ह हासिल कर शरद पवार ने अभी से आधी लड़ाई जीत ली है।  चुनाव में कई बार चुनाव चिन्ह या इलेक्शन सिंबल अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता ता है जो जनमन को सीधे अपील करता है।  ‘मराठी माणुस’ के लिए तुतारी विशेष संदर्भ रखती है।  छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से यानी ‘जाणता राजा’ की शिवशाही से महाराष्ट्र में तुतारी गूंजती रही है।  शरद पवार की पार्टी को चुनाव आयोग ने पहले ही उनके नाम से पहचान दी।  

इसके अलावा चुनाव चिन्ह भी ऐसा मिला जो मराठी मन पर अंकित है।  यह चिन्ह घड़ी के मुकाबले अधिक प्रभावशाली प्रतीत होता है।  पवार की 10 बजकर 10 मिनट बजानेवाली पुरानी घड़ी अब अजीत पवार की पार्टी का चुनाव चिन्ह है।  तुतारी चुनाव चिन्ह मिलने से शरद पवार मजबूत हुए हैं, जिससे विरोधियों को बेचैनी होना स्वाभाविक है। 

साथ ही शरद पवार ने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कवि कुसुमाग्रज की लिखी हुई एक लोकप्रिय कविता ‘तुतारी’ की पंक्तियों का हवाला देते हुए एक पोस्ट किया।  उनकी पार्टी ने ‘एक्स’ पर कहा- ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरगाथा में ‘तुतारी’ ने एक बार दिल्ली के सम्राट को बहरा कर दिया था।  आगामी चुनावों के लिए तुतारी (तुतारी बजाता हुआ आदमी) को पार्टी चिन्ह के रूप में प्राप्त करना हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है।  हमारी तुतारी शरदचंद्र पवार के नेतृत्व में दिल्ली के सिंहासन को हिलाने के लिए पूरी तरह तैयार है। ‘ 

तुतारी का छत्रपति शिवाजी से कनेक्शन

छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में तुतारी का उपयोग युद्ध में रणनीति बनाने, सैनिकों को प्रेरित करने और विजय का जश्न मनाने के लिए किया जाता था।  जब शत्रु सेना नजदीक आती थी तो तुतारी बजाकर सैनिकों को सचेत किया जाता था।  तुतारी की अलग- अलग ध्वनियों का उपयोग विभिन्न आदेशों को इंगित के लिए किया जाता जैसे कि आक्रमण, रक्षा, हटना आदि।