आज की खास खबर

Published: Nov 08, 2021 04:47 PM IST

आज की खास खबरक्या कर रही है सरकार? अस्पताल या मौत के अड्डे

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

फायर सेफ्टी ऑडिट को लेकर दिए गए सख्त दिशा निर्देश के बावजूद महाराष्ट्र के अस्पताल में आग लगने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं और वहां दाखिल मरीज बेमौत मारे जा रहे हैं. यह अस्पताल प्रबंधन और कानून का पालन करानेवाले अधिकारियों की अपराधिक लापरवाही का नतीजा है कि एक के बाद एक इस तरह के जानलेवा हादसे हो रहे हैं. धिक्कार है ऐसे जर्जर सिस्टम को जो इंसान की जान की कीमत नहीं करता और लोगों को मौत के मुंह में ढकेल देता है. 

लोग अस्पताल में इसलिये भर्ती होते हैं कि उनका ठीक तरह से इलाज हो और वे भले-चंगे स्वस्थ होकर अपने घर लौटें लेकिन उन्हें क्या पता कि अस्पताल जलती हुई भट्टी में बदल जाएगा जहां वे तड़प-तड़प कर अपनी जान गंवा बैठेंगे. सरकार और प्रशासन को एक बार के हादसे से आगे के लिए सबक सीखकर एहतियाती कदम उठा लेने चाहिए किंतु वहां तो एक के बाद एक अस्पताल अग्निकांड हो रहे हैं फिर भी किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. सिस्टम अंधा, बहरा बना बैठा है. कोई सोया हो तो जगाया जा सकता है लेकिन जो सोने का ढोंग कर रहा है उसे कैसे जगाया जाए?

अस्पतालों को अनुमति देते समय वहां अग्निशमन व्यवस्था की पूरी शाश्वति कर लेनी चाहिए. इसके बाद समय-समय पर जांच होनी चाहिए कि फायर फाइटिंग उपकरण काम कर रहे हैं या नहीं. आग लगने की स्थिति में बच निकलने के लिए वैकल्पिक मार्ग है या नहीं. सीढि़यां व रास्ते इतने संकरे तो नहीं हैं कि लोग निकल न पाएं.

1 वर्ष में हुए 5 हादसे

महाराष्ट्र में इस वर्ष अस्पतालों में अग्निकांड की 5 जानलेवा घटनाएं हुई. जनवरी में भंडारा के सरकारी अस्पताल के नवजात शिशु केयर युनिट में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई. इन्क्यूबेटर का तापमान बढने से आग लग गई थी. मार्च में मुंबई के भांडूप स्थित कोविड अस्पताल में आग से 10 लोग जान गंवा बैठे. फिर अप्रैल अत्यंत दुदैवी महीना रहा. 

इस माह मुंबई से सटे विरार पश्चिम स्थित विजय वल्लभ कोविड अस्पताल में आग लगने से 13 लोगों की मौत हो गई. अप्रैल में ही नाशिक के सरकारी अस्पताल का आक्सीजन टंैक लीक हो जाने से वेंटिलेटर में आक्सीजन सप्लाई रुक गई और 24 मरीजों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. उसके बाद दीपावली की खुशियों को मातम में बदलने वाला अहमदनगर का हादसा हुआ.

कोरोना का इलाज कराने गए तो आग ने निगला

अहमदनगर जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने से 4 महिलाओं समेत 11 मरीजों की मौत हो गई. वार्ड में भर्ती 20 मरीजों में से 15 आक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर थे जो बिस्तर से उठने की स्थिति में नहीं थे. ऐसा अनुमान है कि शार्ट सर्किट से आग लगी होगी.

फिर जांच का वादा लेकिन क्या हादसे रुकेंगे

हर हादसे के बाद सरकार जांच कराने और दोषियों को दंड देने की बात कहती है. इस समय भी अहमदनगर के पालकमंत्री हसन मुश्रिफ ने कहा कि अस्पताल में आग के लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और लापरवाही करनेवालों को नहीं बख्शा जाएगा. मुख्यमंत्री उद्घव ठाकरे ने गहरा शोक जताया है तथा स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. जांच के लिए समिति बनती है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ऐसी कौन सी ठोस कार्रवाई की जाती है कि भविष्य में हादसे न होने पाएं? अस्पतालों की अग्निशमन तथा अनय सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद क्यों नहीं की जाती?