संपादकीय

Published: Feb 05, 2022 03:21 PM IST

संपादकीयनिजी क्षेत्र में 75% आरक्षण, हरियाणा सरकार के बेतुके फैसले पर रोक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

कोई सरकार सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कैसे बेतुके फैसले लेती है, इसकी मिसाल हरियाणा की खट्टर सरकार का मनमाना आदेश है, जिसके तहत निजी क्षेत्र के रोजगारों में हरियाणा के निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया. स्थानीय लोगों या भूमिपुत्रों को अधिकतम रोजगार दिलाने के लिए प्राइवेट सेक्टर पर इस फैसले के तहत अवांछित दबाव डाला गया.

सरकार ने इस बात को भुला दिया कि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता और कौशल के आधार पर दी जाती हैं. जो कर्मचारी अपनी काबिलियत और मेहनत से आउटपुट देगा, वही निजी क्षेत्र के लिए उपयोगी होता है.

इसलिए प्रतिभा और क्षमता को ताक पर रखकर 75 प्रतिशत धरतीपुत्रों (राज्य के लोगों) को नौकरी देने की बाध्यता निजी क्षेत्र के लिए अन्यायकारी है. हरियाणा सरकार के इस आदेश को फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की. हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुई प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी आरक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न वह सरकार के इस कानून पर रोक लगा दे? याचिका में आशंका जताई गई थी कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा के वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है. सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है.

इसमें निजी क्षेत्र के उद्योगों पर बंधन है कि योग्यता का पैमाना भूल जाओ और नौकरियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को भरो. सरकार का यह क्षेत्रीयतावादी कानून सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है. इससे अन्य राज्यों के हुनरमंद युवाओं को हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर के उद्योगों में नौकरी नहीं मिल पाएगी. हरियाणा सरकार का कानून भारतीयता की भावना के खिलाफ है जिसमें हर भारतीय को समान अवसर देने का संवैधानिक प्रावधान है.