संपादकीय

Published: Apr 09, 2021 12:50 PM IST

संपादकीयराज्य में वैक्सीन की कमी, क्या कर रही है सरकार?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

वैक्सीन की कमी के मुद्दे को लेकर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार आमने-सामने हैं. आपदा के समय भी दोनों के बीच टकराव तथा आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हो रही है. महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसे पर्याप्त मात्रा में कोरोना की वैक्सीन नहीं दी जा रही है, जिस वजह से उसे अपने वैक्सीनेशन सेंटर्स से लोगों को बिना वैक्सीन लगाए वापस भेजना पड़ रहा है.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने केंद्र से कोरोना वैक्सीन की 40,00,000 डोज की मांग करते हुए कहा कि समय पर वैक्सीन की आपूर्ति नहीं होने पर महाराष्ट्र में टीकाकरण अभियान 3 दिनों में बंद हो सकता है. जब राज्य में ही पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में वैक्सीन का निर्माण हो रहा है तो महाराष्ट्र में इसकी कमी क्यों होनी चाहिए? इस इंस्टीट्यूट की वित्तीय मांग पर सरकार ध्यान क्यों नहीं दे रही है? हमारी वैक्सीन निर्माण क्षमता का पूरा विश्व लोहा मानता है.

टोपे ने कहा कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जोर-शोर से कहा था कि 3 लाख की जगह 6 लाख लोगों को टीका लगाया जाए. हम 4 लाख तक पहुंचे हैं और 6 लाख तक भी पहुंच सकते हैं लेकिन साढ़े चार लाख लोगों के लिए भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस वजह से टीकाकरण केंद्रों को बंद रखना पड़ रहा है. पनवेल, सांगली, सातारा व चंद्रपुर में लसीकरण ठप है.

टोपे के इस आरोप का जवाब देते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वैक्सीन की आपूर्ति हर रोज होती है. राज्य की आघाड़ी सरकार केंद्र की तरफ उंगली दिखाना बंद करे. उधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी राज्य में वैक्सीन की कमी नहीं है. राज्यों की जरूरत के हिसाब से वैक्सीन दी जा रही है.

उन्होंने आश्वस्त किया कि किसी भी स्थिति में वैक्सीन की कमी नहीं होने दी जाएगी. केंद्र ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार को लगातार कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है लेकिन राज्य सरकार टीका लगाने में पूरी तरह सफल नहीं हो रही है. महाराष्ट्र को 2 दिन पहले 1,06,19,190 डोज दी गई थी जबकि महाराष्ट्र के लिए पाइपलाइन में 7.43 लाख टीके हैं. ये सभी टीके उसे सप्लाई किए जाने हैं. राज्य में 90,53,523 टीके लगाए गए हैं. इसलिए यह कथन अनुचित है कि केंद्र की ओर से पर्याप्त टीके नहीं दिए जा रहे हैं.