संपादकीय
Published: Mar 09, 2024 10:02 AM ISTसंपादकीयसतर्क हो जाए महाराष्ट्र, शहरों के अंधे विकास से होता सत्यानाश
गार्डन सिटी ऑफ इंडिया कहलानेवाला बेंगुलुरू भीषण जलसंकट के दौर से गुजर रहा है। अभी से यह हाल है तो अप्रैल, मई, जून की गर्मी में क्या होगा। हाल के वर्षों में यह जलसंकट सबसे भयावह माना जा रहा है। नलों में पानी की बूंद नहीं है। कुएं-तालाब सूख गए हैं। लोग पानी के टैंकर के भरोसे हैं। मुख्यमंत्री के आवास और कार्यालय में भी टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है। 2023 में बारिश की कमी के अलावा यह शहरों के अंधे विकास का नतीजा है।
शहरों का विस्तार होता चला जाता है। जहां एक परिवार रहता था वहां अपार्टमेंट स्कीम बनाकर 25 परिवार बसा दिए जाते हैं लेकिन यह नहीं देखा जाता कि उस अनुपात में पानी की सप्लाई संभव है भी या नहीं। बंगलुरू में टैंकर की दर 1,500 से 1,800 रुपए के बीच हो गई है। कर्नाटक की 136 तहसीलों में से 123 को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। जलसंकट के चलते कोचिंग सेंटर्स ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है। अब महाराष्ट्र (Maharashtra News) को भी सतर्क होना जरूरी है। मुंबई, पुणे, ठाणे यहां तक उपराजधानी नागपुर के भी कुछ हिस्सों में जलसंकट की नौबत आ गई है।
ऐसे में पहले से ही कुएं, तालाब जैसी वाटरबॉडी के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। कितने ही पुराने तालाबों का नामोनिशान नहीं रह गया। तालाब पाटकर बस्तियां बना दी गईं। मुंबई की मीठी नदी का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया। तालाब खत्म कर दो तो आसपास के कुएं भी सूख जाते हैं। नल योजना आने के बाद कुओं में कूड़ा-कचरा डाला जाने लगा और उनका पानी पीने लायक नहीं रह गया। कुआं तभी ठीक रहता है जब उसमें से लगातार पानी खींचा जाए और कुएं की सफाई होती रहे। पुणे की जलापूर्ति भी मुठा और मुला नदियों के भरोसे है।
सोलापुर में हफ्ते में सिर्फ 2 दिन नल आता है इस तरह के जलसंकट की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि जल है तो जीवन है। महाराष्ट्र में ‘पाणी अड़वा, पाणी जिरवा’ योजना को गति देने की आवश्यकता है। बरसात का पानी रोका जाए और जमीन में समाने दिया जाए। भूजल का निरंतर नीचे जा रहा स्तर चिंताजनक है। बहुत नीचे तक खुदाई के बाद बोरवेल में पानी मिल पाता है।
वाटर बॉडीज की सुरक्षा के अलावा लोगों को पानी का अपव्यय टालने के लिए सजग होना चाहिए। लापरवाही से नल खुला छोड़ देना, शेविंग करते समय बेसिन का नल बहते रहने देना अच्छी आदतें नहीं हैं। पाइप लाइन काटकर पानी की चोरी करनेवालों पर भी अंकुश लगाना होगा। कही भी पानी का लीकेज रोकना जरूरी है। पानी की एक-एक बूंद का महत्व समझना होगा क्योंकि यह इंसान ही नहीं समस्त जीवों की बुनियादी जरूरत है। प्राथमिकता का निर्धारण करते हुए पहले पीने, फिर कृषि को और उसके बाद उद्योगों को पानी देना होगा।