संपादकीय

Published: Feb 03, 2023 03:17 PM IST

संपादकीय आतंकवाद का कहर जैसा बोया, वैसा काट रहा पाकिस्तान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पाकिस्तान हमेशा आतंकवाद पनपाने के आरोप से इनकार करता रहा लेकिन अब उसे खुद अपनी करनी के लिए पछताने की नौबत आ गई है क्योंकि आतंकवादी समूह पाकिस्तानी पुलिस पर हमले करने लगे हैं. पाकिस्तान के गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने स्वीकार किया कि मुजाहिदीन को तैयार करना एक बड़़ी गलती थी. हमने मुजाहिदीन तैयार किए और फिर वे आतंकवादी बन गए. पाकिस्तान में जिस तरह आतंकी हमले बढ़ रहे हैं उससे साफ नजर आता है कि इस मुल्क के शासकों ने जो बोया, वहीं काटने की नौबत आ गई है. जब पाक ने देख लिया कि आमने-सामने की जंग में वह भारत के मुकाबले टिक नहीं पाता तो उसने छद्म युद्ध के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षण और हथियार देकर तैयार किया. फिदायीन हमलावर बनाए और उनकी भारतीय सीमा में घुसपैठ करवाई.

इसके लिए जनरल जिया उल हक के शासनकाल में योजना बनी थी. 1993 में मुंबई में पाकिस्तान के इशारे पर दाऊद इब्राहिम ने सीरियल ब्लास्ट करवाए थे. इसके बाद 26/11 का भीषण आतंकी हमला पाकिस्तान की दरिंदगी को सबसे बड़ा सबूत था. वह कश्मीर में लगातार आतंकी हमले करवाता रहा. इसके लिए उसने ट्रेनिंग कैंप बनवाए जहां सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सैकड़ों आतंकियों को ट्रेनिंग दी. फौज की फायरिंग का कवर देकर उन्हें भारत की सीमा में दाखिल किया जाता रहा.

जहां तक मुजाहिदीनों का मामला है, अमेरिका के पैसे और शस्त्रों के अलावा पाकिस्तानी फौज के प्रशिक्षण से उन्हें अफगानिस्तान में रूसी फौज से लड़ने के लिए तैयार किया गया था. तालिबान इन्हीं में से उपजे. ये लड़ाकू प्रवृत्ति के लोग हैं जिनके कबीले आपस में लड़ते हैं लेकिन बाहरी ताकत से मुकाबला करने के लिए एकजुट हो जाते हैं. पाकिस्तान के लिए तहरीक-ए-तालिबान बड़ी चुनौती बन गया है. इन आतंकियों ने पेशावर के सैनिक स्कूल में हमला कर बड़ी तादाद में फौजी अफसरों के बच्चों की हत्या की थी. हाल ही में पेशावर की मस्जिद में धमाका कर उन्होंने अनेक लोगों की जान ली. ऐसे हमले सिर्फ खैबर पख्तूनवा प्रांत तक सीमित नहीं रहे. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मियांवाली जिले में 20-25 आतंकियों ने पुलिस स्टेशन पर भी हमला किया.

दोनों तरफ से गोलीबारी हुई. बाद में आतंकी भाग निकले. पाकिस्तान में पंजाबी नेताओं के वर्चस्व से पठान और बलूच चिढ़े हुए हैं. सिंध में भी असंतोष पनप रहा है. पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों को अफगानिस्तान के तालिबानियों की मदद है. तालिबान पाकिस्तानी इलाके में भी अपना विस्तार करना चाहता है और पाक के लिए भस्मासुर साबित हो रहा है. अब तक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है.