संपादकीय

Published: Nov 23, 2023 01:50 PM IST

संपादकीयसबसे बड़ी पार्टी पर प्रतिबंध, आखिर बांग्लादेश में ये कैसा चुनाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

चुनाव लोकतांत्रिक पद्धति से होते हैं, न कितानाशाही तरीके से ! बांग्लादेश में वहां की सबसे बड़ी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है, इसके अलावा विपक्ष के बहुत सारे नेता भी जेल में बंद हैं. हाल के दिनों में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान विपक्ष के 139 वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया गया. इनमें से अधिकांश नेता बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के थे जिन्हें विभिन्न आरोपों के तहत हिरासत में लिया गया. इसमें कोई शक नहीं कि प्रदर्शन हिंसक रहे जिनका प्रधानमंत्री हसीना को 7 जनवरी 2024 को आम चुनाव कराने केलिए बाध्य करना था. 

बांग्लादेश में 2011 में हुए 15 वें संविधान संशोधन के माध्यम से कार्यवाहक सरकार का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है इसलिए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस तरह की सरकार की पुनस्थापना की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन किया, प्रमुख विपक्षी पार्टियों को तानाशाही ढंग से चुनाव से दूर रखकर हसीना बांग्लादेश में कट्टरपंथियों को हावी होने का मौका दे रही हैं. यह रवैया खुद हसीना की पार्टी अवामी लीग और बांग्लादेश के लिए नुकसानदेह हो सकता है. 

चुनाव तभी स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय हो सकता हैं जब उसमें सत्तापक्ष के अलावा विपक्ष भी मैदान में उतरे. यह भी चर्चा है कि जमात-ए- इस्लामी और बीएनपी के कार्यकर्ता अवामी लीग के बुनियादी संगठनों में घुसपैठ कर रहे हैं. यह लोग आगे चलकर सत्तारूढ़ पार्टी में सेंध लगा सकते हैं. यदि बांग्लादेश की राजनीति में कट्टरपंथी तत्व हावी हुए तो वहां पाकिस्तान समर्थक ताकतें सक्रिय हो सकती हैं. ऐसा होना भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है. इसे लेकर भारत हसीना को उपयुक्त सलाह दे सकता है कि वह राजनीति में संतुलन बनाए रखें.

बांग्लादेश आर्थिक समस्याओं से भी जूझ रहा है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 20 अरब डॉलर रह गया है जिसके भरोसे वह सिर्फ 3 महीने ही आयात कर सकता है. सितंबर में बांग्लादेश में महंगाई का स्तर भी बढ़कर 9.6 प्रतिशत पर पहुंचा, अमेरिका भी शेख हसीना के तानाशाही रवैये से चिंतित है, चीन के खिलाफ रणनीतिक संघर्ष में वह बांग्लादेश को अपने साथ बनाए रखना चाहता है.

बांग्लादेश आर्थिक समस्याओं से भी जूझ रहा है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 20 अरब डॉलर रह गया है जिसके भरोसे वह सिर्फ सरकार 3 महीने ही आयात कर सकता में है. सितंबर में बांग्लादेश में महंगाई का स्तर भी बढ़कर 9.6 प्रतिशत पर पहुंचा. अमेरिका भी शेख हसीना के तानाशाही रवैये से चिंतित है.