mitchell marsh world cup trophy
मिशेल मार्श

Loading

कुछ लोग अपने कार्यक्षेत्र या हुनर में कामयाबी और वाहवाही हासिल कर लेते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि उनमें संस्कार या तमीज हो. उनके दिमाग पर अहंकार सवार हो जाता है. घमंड उनके विवेक पर पर्दा डाल देता है और उनकी अक्ल घास चरने चली जाती है. आस्ट्रेलिया के आलराउंडर मिचेल मार्श इतने मूर्ख और बदतमीज होंगे, ऐसा किसी ने सोचा भी न होगा. 

उन्होंने अपनी आस्ट्रेलिया टीम की जीत के बाद प्रतिष्ठित विश्व कप ट्राफी की इज्जत नहीं रखी. जिस ट्राफी को माथे से लगाना था, उस पर जानबूझकर पैर रखकर बैठ गए. आश्चर्य है कि मार्श को इस तरह की बेवकूफी के लिए किसी ने फटकारना तो दूर, टोका तक नहीं. सोफे पर इत्मिनान से बैठकर सम्मानित ट्राफी पर दोनों पैर इस अंदाज में रख दिए मानो वह ट्राफी नहीं बल्कि लेगस्टैंड या स्टूल हो. मार्श की इस संस्कारहीनता की जितनी निंदा की जाए कम है. 

क्रिकेट प्रेमियों ने उनकी इस ओछी हरकत की तीखी आलोचना की. उनके इस व्यवहार को गलत और अवांछित करार देते हुए फैन्स ने कहा कि वर्ल्ड कप ट्राफी का कुछ तो सम्मान करें. क्रिकेट प्रेमियों ने हमारे पूर्व क्रिकेट कप्तानों कपिल देव, सचिन तेंदुलकर और महेंद्रसिंह धोनी की ऐसी तस्वीरें शेयर की जिनमें वह ट्राफी का सम्मान करते नजर आ रहे हैं. कपिल देव ने तो 1983 में लंदन के लार्डस मैदान पर वेस्ट इंडीज को फाइनल में हराने के बाद पहली बार भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा था. 

तब उन्होंने सम्मानपूर्वक इस ट्राफी को ऊंचा उठाकर अपने सिर पर रख लिया था. यह ट्राफी गौरव का प्रतीक है. अवश्य ही इसका महत्व ट्रेविस हेड जानते होंगे जिन्होंने 137 रन बनाकर अपनी टीम को जीत दिलाई. उनके जोड़ीदार लाबुशेन को भी ट्राफी की महत्ता विदित होगी जो 58 रन बनाकर नॉटआउट रहे थे. इन खिलाड़ियों के कौशल, दृढ़ता, धैर्य और समर्पण से मिली ट्राफी पर रईसी के साथ पैर रखकर बैठना मिचेल मार्श की बहुत बड़ी नादानी है. 

भारत में जैसे संस्कार हैं वैसे शायद कहीं नहीं मिलेंगे. यहां तो किताब-कॉपी या कलम को धोखे से पैर छू जाने पर भी बच्चे उन वस्तुओं को माथे से लगा कर माफी मांगते हैं. लोग सुबह बिस्तर से उठकर धरती माता को प्रणाम कर फिर पैर नीचे रखते हैं. सूर्य, चंद्रमा के अलावा वट, पीपल, आंवला जैसे वृक्षों की पूजा का विधान भी भारत में ही है. हम प्रकृतिपूजक हैं और जो कुछ हमें मिला है, उसके प्रति हृदय से कृतज्ञता का भाव रखते हैं. क्या वर्ल्ड कप ट्राफी पर पैर रखनेवाले मिचेल मार्श कभी इन संस्कारों को समझ पाएंगे?