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Published: Feb 20, 2021 11:26 AM IST

नवभारत विशेषदेश में हर वर्ष प्रदूषण से लाखों की मौत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) तथा यूनिवर्सिटी आफ लंदन(University of London) के अध्ययन के मुताबिक विश्व में 5 में से 1 व्यक्ति की मौत के पीछे कोयले का धुआं बड़ी वजह है. भारत व चीन में पत्थर का कोयला (फॉसिल फ्यूल) (Fuel Air Pollution) जलाने से सर्वाधिक मौत हुई है. चीन में हर वर्ष इसके धुएं से 39 लाख से ज्यादा तथा भारत में लगभग ढाई-लाख लोगों को जान गंवानी पड़ती है. वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष 30.7 प्रतिशत मौत होती है. यूपी में ऐसे ईंधन के इस्तेमाल से 4.71 लाख तथा बिहार में 2.88 लोगों की जान गंवानी पड़ी.

कोयले में चलने वाले ताप बिजली घरों के धुएं और वहां से आसपास के कई मील इलाके में फैलने वाली राख से जान लेवा प्रदूषण फैलता है. दवा में पार्टिकुलर मैटर (सीएम) की मात्रा बढ़ जाती है जो फेफड़े व हृदय के लिए बेहद हानिकारक है. प्रधानमंत्री उज्ज्वल योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) में गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए. यह दावा किया गया कि इससे बहुत बड़ी तादाद में ग्रामीणों को लाभ मिला लेकिन हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में पाया गया कि अभी भी एलपीजी सिलिंडर का इस्तेमाल काफी कम है और ग्रामीण कोयला, लकड़ी जैसे ईंधन पर ही निर्भर हैं. कनेक्शन तो मुफ्त मिल गया, सिलेंडर के लिए पैसे कहां से लाएं. पर्यावरण सुरक्षा में अपना अंशदान देने में विकसित देश अब भी पीछे हैं. सभी के सहयोग से प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास हो सकते हैं वाहनों का धुआं भी काफी प्रदूषण फैलाता है. सिग्नल पर खड़ी गाड़ियों के धुएं से दम घुटने लगता है. कितने ही सीनेट, स्टील कारखाने कोयले से चलते हैं. इनकी चिमनी से निकलने वाला काला धुआं भारी प्रदूषण फैलाता है.

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