फिर कोरोना के साए में महाराष्ट्र

    Loading

    यह सोचना गलत है कि कोरोना संकट टल गया. महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले 2 सप्ताह से कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती चली जा रही है. इस दौरान कोरोना मरीजों की तादाद में 20,000 की वृद्धि हो गई है. मुख्य्मंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि वे सरकार को पुन: लाकडाउन लगाने के लिए मजबूर न करें. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी कहा कि यदि परिस्थिति नियंत्रण में नहीं आई तो कठोर निर्णय लेना पड़ेगा. ऐसा ही बयान स्वास्थ्यमंत्री व पुनर्वास मंत्री ने दिया है जिससे राज्य में एक बार फिर लाकडाउन के कयास लगाए जाने लगे हैं.

    स्थिति की गंभीरता से लापरवाह लोगों ने मास्क लगाना बंद कर दिया और सोशल डिस्टेंसिंग न बरतते हुए बेखटके मेलजोल करने लगे हैं. सैनिटाइजर का इस्तेमाल भी कितने ही लोगों ने छोड़ दिया है. ऐसे लोग खुद के लिए खतरा मोल ले रहे हैं और दूसरों के लिए भी खतरा बन गए हैं. हाथ मिलाना व गले लगाना जोखिम भरा है. अभी (Maharashtra Corona virus Cases) नागपुर जिले में 2,628, वर्धा जिले में 466, औरंगाबाद जिले में 518 व नाशिक जिले में 1,463 कोरोना मरीज हैं. इन चारों जिलों में एक सप्ताह में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है. अमरावती जिले में जनवरी के अंत में 677 कोरोना मरीज थे. यह संख्या बढ़कर फरवरी के प्रथम सप्ताह में 1,048 और दूसरे सप्ताह में 2,420 हो गई. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी कि पिछले लगातार 4 दिनों से कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती चली जा रही है. 

    राज्य में 20,67,643 कोरोना पीड़ित

    महाराष्ट्र में कुल कोरोना बाधितों की संख्या 20,67,643 हो गई है. उपराजधानी नागपुर में दिवाली के बाद से संक्रमण कम हुआ था तथा मरीज भी 200-300 के बीच मिल रहे थे लेकिन अब यह आंकड़ा 500 हो गया है. नागपुर जिले में 24 घंटे के भीतर 535 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है. मामूली लक्षण दिखाई देने के बाद भी लोग टेस्ट नहीं करा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि वे अधिकाधिक लोगों को पाजिटिव कर रहे हैं. मिशन बिगिन अगेन में सामाजिक-सांस्कृतिक व राजनीतिक गतिविधियों को शर्तों के साथ छूट दी गई है. इसके बाद कुछ समय तो कोरोना नियंत्रण में रहा लेकिन अब लापरवाही के चलते मरीजों की संख्या बढ़ रही है. देश में 6 दिनों से कोरोना के मामले बढ़ना सचमुच खतरनाक है. गत 26 नवंबर के बाद से यह बढ़ोतरी सर्वाधिक है. यदि कोरोना का पलटवार होता है तो इसके दोषी हम भी होंगे. केवल केंद्र व राज्य सरकार की कमजोर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराने से काम नहीं चलेगा.

    लक्ष्य में अब भी पीछे

    वैक्सीनेशन प्रारंभ होने के 1 माह बाद भी हम प्रतिदिन 10 लाख लोगों को टीका लगाने के लक्ष्य का 40 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर सके. समूचे देश में 50,000 टीकाकरण केंद्र स्थापित करने थे लेकिन 20 प्रतिशत भी स्थापित नहीं हो सके. क्या इसके लिए राज्य सरकारों की उदासीनता जिम्मेदार है? कोरोना वायरस का म्यूटेशन या रूप बदलना भी काफी खतरनाक है. यूरोप में इस महामारी की दूसरी लहर आई है. कोरोना का दोबारा हमला अनेक देशों के लिए घातक साबित हो सकता है.

    वैक्सीन की दूसरी डोज जरूरी

    भारत को इस बात के लिए वाहवाही मिल रही है कि वह अनेक देशों को उदारतापूर्वक वैक्सीन भेज रहा है. वैसे तो भारत में टीके की उपलब्धता 10 करोड़ से ज्यादा डोज की है लेकिन ‘को-विन’ एप अभी पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया है. इस वजह से 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को टीका लगाने का अभियान मार्च में ही शुरू होने की संभावना है. दूसरी ओर लोगों की लापरवाही भी इस तरह सामने आ रही है कि प्रथम चरण के पहले दिन जिन 2 लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगा था, उनका रविवार को दूसरा टीका लगवाने का दिन था लेकिन उनमें से 10 प्रतिशत से भी कम लोग टीका लगवाने केंद्रों पर पहुंचे. यह तो स्वास्थ्यकर्मियों को भी समझना चाहिए कि टीके की 2 डोज लेना जरूरी है. यदि 28 दिनों के भीतर वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लिया गया तो उसका असर कमजोर हो जाता है. जरूरी है कि टीका लगवाने में सभी लोग तत्परता दिखाएं. सरकार का प्रयास है कि टीकाकरण व्यापक स्तर पर तेजी से हो क्योंकि कोरोना की पुन: वापसी बेहद खतरनाक हो सकती है.