निशानेबाज़

Published: May 17, 2021 12:49 PM IST

निशानेबाज़लोग परेशान हुए सुन-सुन, नदारद वैक्सीन की सुना रहे कॉलर ट्यून

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले लोगों के मोबाइल पर उनके प्रिय फिल्मी गीत अथवा किसी श्लोक, गायत्री मंत्र की कॉलर ट्यून आती थी लेकिन जब से कोरोना संकट आया तब से सरकारी कॉलर ट्यून ही चल रही है. इसमें लोगों को कोरोना संक्रमण से सतर्क रहने के साथ वैक्सीन लगवाने को भी कहा जाता है. कान में फोन लगाते ही कोरोना ट्यून शुरू हो जाती है.’’ हमने कहा, ‘‘जनता को जागरूक करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. जिसने वैक्सीन नहीं ली है, वह कॉलर ट्यून से प्रेरित होकर बगैर किसी टीका-टिप्पणी के टीका लगवाने निकल पड़ेगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सरकार की हालत ‘घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने’ जैसी है.

वैक्सीन का भारी अभाव है और लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर से निराश होकर मुंह लटकाए हुए वापस लौटना पड़ता है. इसे देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना वैक्सीन वाली कॉलर ट्यून पर तीखी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि जब आपके पास पर्याप्त मात्रा में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तो आप कब तक इस कॉलर ट्यून के जरिए लोगों को परेशान करेंगे? जस्टिस विपिन सिंघई और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि फोन करने पर चिढ़ पैदा करनेवाली ट्यून सुनाई पड़ती है कि वैक्सीन लगवाइए.

कौन लगाएगा वैक्सीन, जब ये है ही नहीं! हाईकोर्ट ने सरकार को दो टूक सुनाते हुए कहा कि आप लोगों को टीका नहीं लगा रहे हैं. काफी संख्या में लोग इसके लिए इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद भी आप कहा रहे हैं कि टीका लगवाइए. इस तरह के मैसेज का मतलब क्या है? सरकार को और भी मैसेज बनवाने चाहिए. यह नहीं कि एक ही मैसेज बनवाया और हमेशा उसी को चलाते रहें. आप भी इस मैसेज को 10 साल चलाएंगे.’’ हमने कहा, ‘‘जैसे ग्रामोफोन की सुई एक जगह अटक जाती थी, वैसे ही सरकार कॉलर ट्यून पर अटक गई है. हाईकोर्ट ने सही मुद्दे पर सरकार का कॉलर पकड़ा है!’’