निशानेबाज़

Published: Mar 26, 2022 02:59 PM IST

निशानेबाज़सोने का अंडा देने वाली मुर्गी मुंबई का रखो ख्याल जरूरी उसकी देखभाल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अनेक लोगों के लिए मुंबई सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है. लोग अंडे ले जाते हैं पर इस मुर्गी की देखभाल कौन करेगा? मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’

हमने कहा, ‘‘ठाकरे ने ज्वलंत प्रश्न उठाया है. मुंबई देश की आर्थिक राजधानी कहलाती है. मुंबई को महाराष्ट्र में रखने के लिए संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन हुआ था. मुंबई में व्यापार-वाणिज्य, उद्योग और बॉलीवुड है. मुंबई कभी सोती नहीं. वहां हमेशा चहल-पहल बनी रहती है. भारत के तमाम राज्यों से लोग अपनी किस्मत आजमाने और पैसा कमाने के लिए रोज हजारों की तादाद में मुंबई आते हैं. मुंबई की ऊंची अट्टालिकाओं के पीछे झोपड़पट्टियों का सच छुपा हुआ है.

एशिया की सबसे बड़ी स्लम या झोपड़ा बस्ती घारावी मुंबई में है. मुंबई घूमने के लिए अच्छी है लेकिन यहां के लोग छोटी-छोटी खोली में रहने को मजबूर हैं. हर साल बरसात में कितनी ही चॉल और इमारतें ढह जाती हैं. जो पहली बार मुंबई आए वह यहां मानसून की तूफानी बारिश और जलमग्न सड़कें देखकर घबरा जाता है. सीएम ने सच कहा है कि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की देखभाल भी जरूरी है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, लोगों को चिकन या मुर्ग मुसल्लम खाने से मतलब है. संडे हो या मंडे रोज खाते हैं अंडे लेकिन मुंबई की जरूरतों को लेकर बने रहते हैं ठंडे. लोगों का यह नजरिया बदलना होगा कि घर की मुर्गी दाल बराबर! केंद्र सरकार की ओर से जमीन नहीं मिलने से मुंबई की परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. कहावत है- मुर्गी जान से गई और खाने वाले को स्वाद नहीं आया. पहेली पूछी जाती है कि पहले अंडा हुआ या मुर्गी?’’

हमने कहा, ‘‘यह सब बातें छोड़िए. मुख्यमंत्री ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो लोग मुंबई में रहकर मेहनत-मजदूरी करते हैं और दूसरों के घर बनाते हैं, उनके पास अपने घर नहीं हैं. उन्हें घर मिलना चाहिए. कई झोपड़ा बस्ती पुनर्विकास योजनाएं शुरू की गईं लेकिन उनकी गति कछुए से भी धीमी है. परियोजनाओं की मलाई कौन खा रहा है, यह जांच का विषय है.’’