नवभारत विशेष

Published: Dec 01, 2021 12:48 PM IST

निशानेबाज़चलती का नाम गाड़ी बढ़ती का नाम दाढ़ी ना रखे वो अनाड़ी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आपने गौर किया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी में फर्क आ गया है. बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान जब पीएम चुनावी रैली करने जाते थे और ममता बनर्जी को ‘दीदी… ओ दीदी’ पुकारकर ललकारते थे, तब उनकी दाढ़ी बिल्कुल गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसी लंबी थी. इस समय उन्होंने दाढ़ी छोटी कर ली है.’’ 

हमने कहा, ‘‘इसमें आपको कौन सी आपत्ति है? यह मोदी का व्यक्तिगत मामला है. दाढ़ी घर की खेती है. वे इसे चाहें तो बढ़ाएं या काट लें, आपको इससे क्या लेना-देना! किसी की दाढ़ी-मूंछ पर टिप्पणी करने का आपको कोई हक नहीं है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले साधु-महात्मा दाढ़ी रखा करते थे. वन में रहने वाले संन्यासियों के पास इतनी फुरसत कहां थी जो शेविंग कर सकें. इसके विपरीत आजकल दाढ़ी फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है. नौजवान बड़े शौक से दाढ़ी रखते हैं और उसे बड़े सलीके से ट्रिम कराते हैं.

विराट कोहली की बल्लेबाजी के साथ ही उनकी दाढ़ी देखकर अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने उनसे शादी की. ‘आलीशान’ ब्रांड के विज्ञापन में एक फैशनेबल बुजुर्ग लंबी दाढ़ी रखे नजर आता है. चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत सुनने के बाद कितने ही बड़े-बड़े चोर क्लीन शेव रहने लगे. केवल विजय माल्या की दाढ़ी अभी तक सलामत है.” 

हमने कहा, ‘‘कुछ लोगों के चेहरे पर दाढ़ी जंचती है लेकिन कुछ की शक्ल पर बिल्कुल भी नहीं. जिनके गाल पिचके हों, वे दाढ़ी रख लें तो उनका यह खोट छिप जाता है. दाढ़ी को सजाने-संवारने, सही शेप देने और जरूरत पड़ी तो कलर करने में काफी वक्त लग जाता है. लोग फ्रेंच कट दाढ़ी बड़े करीने के साथ रखते हैं. नेहरू युग में सोवियत रूस से क्रूश्चेव और बुल्गानिन साथ आए थे. क्रूश्चेव गंजे थे. उनकी चमकती चांद और बुल्गानिन की दाढ़ी देखने के लिए कोलकाता में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. अमिताभ बच्चन प्रौढ़ावस्था में कदम रखते ही दाढ़ी रखने लगे जो कि उन पर जंचती है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के सिर के बाल काले थे लेकिन दाढ़ी पूरी तरह सफेद थी. यदि चलती का नाम गाड़ी है तो बढ़ती का नाम दाढ़ी है. जो ना रखे, वो अनाड़ी है!’’